केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे 7 कुलपति, जानें क्या है पूरा मामला

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हाल ही में केरल के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के इस्तीफे के मुद्दे पर मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पर कुलाधिपति पद की शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। सीएम ने यह भी कहा था कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक उपकरण के रूप में काम कर रहे हैं।

इसी मुद्दे पर अब केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के खिलाफ 7 कुलपतियों ने केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने नोटिस को रद्द करने की मांग की और तर्क दिया कि यह अवैध है। जस्टिस देवन रामचंद्रन की सिंगल बेंच बुधवार (2 नवंबर) को इस पर विचार करेगी।

दरअसल, केरल के राज्यपाल और राज्य में विश्वविद्यालयों के चांसलर आरिफ मोहम्मद खान ने पिछले हफ्ते केरल के नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से अपने पद से इस्तीफा देने को कहा था। जब सभी कुलपतियों ने 24 अक्टूबर की सुबह तक अपने इस्तीफे राज्यपाल को नहीं भेजे तो राज्यपाल ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा। नोटिस में 3 नवंबर 2022 तक जवाब मांगे गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्टूबर के आदेश के बाद उनका अपने पदों पर बने रहने का क्या कानूनी अधिकार है?

कोर्ट ने कहा अपने पद पर बने रहने के पात्र: वहीं, दूसरी ओर केरल हाई कोर्ट ने नौ में से आठ विश्वविद्यालयों के कुलपति से कहा था कि वह अपने-अपने पद पर रहकर काम जारी रखें। कोर्ट का कहना है कि उन्हें केवल तय प्रक्रिया का पालन करके ही हटाया जा सकता है। जस्टिस देवन रामचंद्रन ने आठ कुलपतियों की ओर से दायर आपात याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्यपाल की ओर से कुलपतियों को दिया गया निर्देश उचित नहीं था। कोर्ट ने विशेष सुनवाई के दौरान कहा कि वे अपने पद पर बने रहने के पात्र हैं।

इन विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल: राज्यपाल द्वारा केरल विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोच्चि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओसियन स्टडीज, कन्नूर विश्वविद्यालय, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कालीकट विश्वविद्यालय और थुंचथ एजुथाचन मलयालम विश्वविद्यालय के कुलपतियों को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। जिसके बाद इन सभी ने हाईकोर्ट का रुख किया था। इनमें से एक एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति भी थे, जिनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध माना था।

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