राज्य सरकार और विरोध करने वाले उत्तर प्रदेश बिजली विभाग के कर्मचारियों के बीच बेनतीजा बातचीत के बाद बिजली कर्मचारियों ने गुरुवार (16 मार्च) रात 10 बजे से 72 घंटे की हड़ताल शुरू कर दी। उधर, सरकार ने चेतावनी दी है कि वह हड़ताली बिजली कर्मचारियों से सख्ती से निपटेगी और बिजली व्यवस्था में गड़बड़ी करते पाए जाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। सरकार के साथ 3 दिसंबर के समझौते को लागू करने की मांग कर रहे कर्मचारियों ने धमकी दी है कि अगर किसी भी हड़ताली को गिरफ्तार किया गया या परेशान किया गया तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। अधिकारियों ने कहा कि बिजली आपूर्ति को पटरी पर रखने के लिए सभी वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई हैं।
ऊर्जा मंत्री ने इस दौरान कहा कि बढ़ती हुई गर्मी की वजह से बिजली जरूरी है और इसलिए एसेंसियल सर्विसेज मेन्टीनेन्स एक्ट (ESMA) के प्रावधान को प्रदेश भर में लागू किया गया है. हड़ताल करने वाले और विद्युत संघर्ष समिति को भी इसकी जानकारी दे दी गई है.अगर काम में व्यवधान पड़ा तो एस्मा के तहत कार्यवाही की जाएगी, जिसमें 01 वर्ष तक की सजा का भी प्रावधान है।
यूपी सरकार ने कहा कि अगर हड़ताल जनता के लिए समस्या पैदा करती है और अगर वे काम पर नहीं लौटते हैं तो संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया जाएगा। सरकार ने विरोध के दौरान अन्य कर्मचारियों को धमकी देने या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लागू करने की चेतावनी दी।
अनिश्चितकालीन आंदोलन कर सकते हैं बिजली विभाग के कर्मचारी
एस्मा और एनएसए लागू करने की चेतावनी देते हुए मंत्री ने कहा, “ऐसे कर्मचारी हैं जो देश हित में हड़ताल में शामिल नहीं हो रहे हैं जबकि संघर्ष समिति के बैनर तले कुछ कर्मचारियों ने इसके साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। हमने मुद्दों को हल करने का प्रयास किया लेकिन दो घंटे से अधिक चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला।”
हालांकि, एके शर्मा ने कहा कि सरकार विरोध कर रहे कर्मचारियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल करने के लिए काम कर रही है और बातचीत के लिए तैयार है लेकिन उन्हें सार्वजनिक हित को दांव पर लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कर्मचारियों ने लगाया समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने का आरोप
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले विरोध कर रहे कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि समिति और राज्य के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के बीच 3 दिसंबर को हुए समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किया गया, जिससे उन्हें हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने मीडियाकर्मियों को बताया, “3 दिसंबर को बिजली मंत्री और संघ समिति के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। एक खंड था जिसके तहत बिजली निगम के अध्यक्ष को हमारे मुद्दों को हल करने के लिए हमारे साथ संवाद करना था। आज 16 मार्च है लेकिन सभापति एक बार भी चर्चा करने में विफल रहे। ऐसे में कर्मचारी हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हुए।”
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