Imroz : 7 साल की उम्र में आखिरकार अमृता प्रीतम और इमरोज की प्रेम कहानी का अंत हो गया है। लेकिन जब-जब नज्म-कविताएं लिखने वालों की दुनिया में रूहानी रिश्तों का जिक्र आया, इमरोज का नाम शिद्दत से याद किया जाता रहा। मशहूर कवि और चित्रकार इमरोज ने मुंबई में कांदिवली स्थित अपने आवास पर उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके निधन की पुष्टि उनकी करीबी और कवयित्री अमिया कुंवर ने की। अमिया के अनुसार, इमरोज पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। कुछ दिन अस्पताल में भर्ती रहे, लेकिन 2 दिन पहले ही उन्हें घर लाया गया था, जहां आज उनका निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। मुंबई में ही उनके अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है।
इमरोज ने कई प्रसिद्ध एलपी के कवर डिजाइन किए
इमरोज का 1926 में पाकिस्तान में जन्म हुआ था। इनका असली नाम इंद्रजीत सिंह था। उनका जन्म लाहौर से 100 किलोमीटर दूर एक गांव में साधारण परिवार में हुआ था। अमृता के दुनिया से जाने के बाद से ही इमरोज गुमनामी का जीवन जी रहे थे। उन्होंने पिछले कुछ सालों से किसी से मिलना-जुलना बंद कर रखा था। अमृता अपनी एक किताब के कवर पेज के लिए डिजाइन तलाश रही थीं। इसी दौरान उनकी मुलाकात अमृता प्रीतम से हुई थी। इसके बाद बंटवारे के चलते दोनों पाकिस्तान से भारत आए और यही बस गए।
अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले : अमृता
बता दे की अमृता ने अपने जीते जी इमरोज से कहा था की अजनबी तुम मुझे जिंदगी की शाम में क्यों मिले, मिलना था तो दोपहर में मिलते। वहीं समाज में चल रही रीति-रिवाजों के चलते दोनों ने कभी शादी नहीं की। इमरोज अमृता को ही अपना ‘समाज’ बताते थे। कई बार स्कूटर पर पीछे बैठकर अमृता इमरोज की पीठ पर कुछ न कुछ उकेरती रहती थीं। इमरोज कहते थे कि कई बार मेरी पीठ पर अमृता ने साहिर का नाम लिखा, लेकिन क्या फर्क पड़ता है। वो साहिर को चाहती हैं तो चाहें, मैं उन्हें चाहता हूं।
अमृता और इमरोज के बीच सात साल का फर्क
वहीं आपको बता दे की अमृता और इमरोज के बीच उम्र में सात साल का केवल फर्क है। वहीं साल 2005 में अमृता का भी निधन हो गया था। मृत्यु से पहले अमृता ने इमरोज के लिए एक कविता लिखी ‘मैं तुम्हें फिर मिलूंगी।’ वहीं, उनकी मृत्यु के बाद इमरोज कवि बन गए थे। उन्होंने अमृता पर एक प्रेम कविता पूरी की-‘उसने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं।’
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