Sri Lanka : श्रीलंका में सियासी घमासान के बीच पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे तो देश छोड़कर निकल गए लेकिन अब पूर्व पीएम महिंदा राजपक्षे और बासिल ऐसा नहीं कर पाएंगे। कोर्ट ने उनके देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। बासिल राजपक्षे पहले भी सिल्क रूट से विमान लेकर देश छोड़ने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन कर्मचारी यूनियन ने उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक दिया था। बासिल राजपक्षे श्रीलंका के वित्त मंत्री रह चुके हैं।
श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर एक हलफनामा भी दायर किया है। जिसमें बताया गया है कि जब तक उनके खिलाफ दायर मौलिक अधिकार याचिका पर सुनवाई नहीं होती, वो देश नहीं छोड़ेंगे।
महिंदा राजपक्षे ने 9 मई को प्रधानमंत्री पद से दिया था इस्तीफा –
Sri Lanka : बासिल राजपक्षे ने पिछले मंगलवार देश छोड़ने की कोशिश की थी। जिसको लेकर उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका को लेकर श्रीलंकाई सर्वोच्च न्यायालय की पांच जजों की पीठ शुक्रवार को सुनवाई करेगी।
बासिल राजपक्षे राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के छोटे भाई हैं। गौरतलब है कि बासिल राजपक्षे अमेरिकी पासपोर्ट धारक हैं, उन्होंने अप्रैल के महीने में वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। बासिल को व्यापक रूप से देश के सबसे खराब आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
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Sri Lanka : वहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने 9 मई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले महिंदा को मई के महीने में श्रीलंका की एक अदालत ने कोलंबो में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर घातक हमले के लिए उनके खिलाफ जांच के मद्देनजर विदेश यात्रा करने से रोक दिया था।
पद से इस्तीफे के बाद देश के त्रिंकोमाली नौसैनिक अड्डे पर उन्हें सुरक्षा प्राप्त है। महिंदा द्वारा इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी।
Sri Lanka : देश भर में जारी हिंसा के बीच देश छोड़कर भाग गए गोटाबाया राजपक्षे की गैर-मौजूदगी में विक्रमसिंघे को श्रीलंका का कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। जिसके बाद उन्होंने बुधवार को देश में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी और पश्चिमी प्रांत में कर्फ्यू लगा दिया।
आपको बता दें, श्रीलंका आजादी के बाद से अभी अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश के करीब 22 मिलियन लोगों मंदी की चपेट में हैं। इससे लाखों लोगों के सामने भोजन, दवा, ईंधन और अन्य आवश्यक चीजें का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
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