31 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया था कि गैर-पंजीकृत मदरसों का पता लगाया जाए और उन्हें चलाने वाली संस्थाओं, उनके पाठ्यक्रम और उनकी आय के स्रोत की जानकारी जुटाई जाए। इस घटनाक्रम से एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें विपक्ष दावा कर रहा है कि इस कवायद का मकसद राज्य में रह रहे मुसलमानों को परेशान करना है।
अब यूपी की तर्ज पर ही उत्तराखंड में भी मदरसों की गतिविधियों का सर्वे किया जाएगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में बड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि सभी मदरसों पर कड़ी नजर रखते हुए सर्वे की कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उत्तराखंड में मदरसों के कामकाज, गतिविधियों को लेकर लगातार शिकायतें आ रही हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। इसके लिए सभी मदरसों की जांच होगी। यूपी की तर्ज पर सभी मदरसों का सर्वे किया जाएगा। ऐसे में उत्तराखंड में भी मदरसों का सर्वे जरूरी हो गया है। इसके लिए जांच प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
आपको बता दें कि मदरसों पर सीएम के बयान से ठीक एक दिन पहले सोमवार को भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता एवं उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के नवनियुक्त अध्यक्ष शादाब शम्स ने दावा किया कि नया बोर्ड मदरसे की पढ़ाई को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ना चाहता है।
इसका मतलब है मदरसा शिक्षा व्यवस्था में गणित और विज्ञान जैसे विषय शामिल करना: ‘उत्तराखंड के मदरसों में अब विज्ञान, गणित और हिंदी तथा अंग्रेज़ी भाषाओं जैसे मुख्यधारा के विषय शामिल किए जाएंगे. उन्हें उचित स्कूलों में परिवर्तित किया जाएगा और स्मार्ट कक्षाओं तथा शिक्षा प्रणालियों के साथ आधुनिक बनाया जाएगा’।
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