केंद्र सरकार जल्द ही व्हाट्सएप, फेसबुक, गूगल डुओ और टेलीग्राम जैसे कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप्स को टेलीकॉम कानूनों के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। इसको लेकर सरकार के द्वारा एक ड्राफ्ट बिल तैयार किया गया है। जिसके अनुसार ओवर द टॉप (ओटीटी) यानी ऐसी सेवाएं जो इंटरनेट की मदद से काम करती हैं दूरसंचार कानूनों के दायरे में आ जाएंगी।
दरअसल, सरकार ने Indian Telecommunication Bill, 2022 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इस ड्राफ्ट को दूरसंचार विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध भी कराया गया है। विभाग ने बिल पर सुझाव भी मांगा है और इसमें कई नई चीजें शामिल की गई हैं। दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले ब्रिटिश-युग के कानूनों को दूर करने के लिए इस नए बिल को लाया जा रहा है।
WhatsApp दुनियाभर में एक पॉपुलर इंस्टैंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है। बड़ी संख्या में लोग इसका इस्तेमाल कॉलिंग के लिए भी करते हैं। अकेले भारत में ही वॉट्सऐप को 40 करोड़ से ज्यादा लोग इस्तेमाल करते हैं। लेकिन, नए टेलीकॉम बिल के ड्रॉफ्ट के बाद से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं वॉट्सऐप यूज करने के लिए पैसे तो नहीं देने पड़ेंगे?
नए टेलीकॉम बिल के मुताबिक, WhatsApp, Telegram, Skype, Zoom और Google Duo जैसे कॉलिंग और मैसेजिंग सर्विस ऐप्स को अब लाइसेंस लेना होगा। यानी इन ऐप्स को टेलीकॉम कंपनियों की ही तरह भारत में सर्विस उपलब्ध कराने के लिए लाइसेंस लेना होगा। नए टेलीकम्युनिकेशन बिल में OTT प्लेटफॉर्म्स को भी शामिल किया गया है।
चूंकि, इन ऐप्स को ऑपरेट होने के लिए अब लाइसेंस की जरूरत होगी। ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि WhatsApp Calling और दूसरे ऐप्स के लिए लोगों को फीस देनी पड़ सकती है। हालांकि, ये लाइसेंस कब और कैसे मिलेगा? किस ऐप के लिए कितने पैसे खर्च करने होंगे? इस बारे में फिलहाल कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
सरकार ने जो नया बिल ड्राफ्ट किया है उसमें लाइसेंस फीस को लेकर भी कुछ प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। इसके तहत सरकार के पास अधिकार है कि वह लाइसेंस फीस को आंशिक या पूरी तरह से माफ कर सकती है। साथ ही इसमें रिफंड का भी प्रावधान जोड़ा गया है। ऐसे में अगर कोई टेलीकॉम या इंटरनेट प्रोवाइडर अपना लाइसेंस सरेंडर करता है, तो उसे रिफंड मिल पाएगा।
WhatsApp की फ्री सर्विस का क्या होगा?
WhatsApp या किसी भी दूसरे ऐप्स पर अभी कॉलिंग फ्री है। लेकिन, इनमें डेटा का कॉस्ट देना होता है। यानी डेटा होने पर ही फ्री कॉलिंग की जाती है। लेकिन, लाइसेंस फीस के बाद स्थिति क्या होगी? इस पर फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता। कयास लगाए जा रहे हैं कि ये प्लेटफॉर्म्स या तो फीस ले सकती हैं या कुछ सर्विसेज के मेंबरशिप भी ऑफर कर सकती हैं। सरकार ने इस बिल पर 20 अक्टूबर तक लोगों से सुझाव मांगे हैं।
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