बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 5 जनवरी से बिहार की यात्रा पर निकल रहे हैं। इसकी शुरुआत चंपारण से शुरू हो रही है। राजनीतिक सामाजिक यात्राओं का बादशाह अगर कोई है तो वे हैं नीतीश कुमार। कोई संशय रहा या अनिर्णय की स्थितियां रही या फिर कोई दबाव में हों या मूल्यांकन के आग्रही जब कभी रहे नीतीश कुमार तो यात्रा पर निकल पड़े।
यादाश्त अगर ठीक है तो अबतक कुल 16 यात्राएं निकाल चुके हैं। मसलन 2005 में न्याय यात्रा, 2009 जनवरी में विकास यात्रा, जून 2009 में धन्यवाद यात्रा, सितंबर 2009 में प्रवास यात्रा, अप्रैल 2010 में विश्वास यात्रा, 9 नवंबर 2011 में यात्रा, सितंबर 2012 में अधिकार यात्रा, मार्च 2014 में संकल्प यात्रा, नवंबर 2014 मे संपर्क यात्रा, नवंबर 2016 में निश्चय यात्रा, दिसंबर 2017 में समीक्षा यात्रा, दिसंबर 2019 में जल-जीवन-हरियाली यात्रा, 2021 में समाज सुधार यात्रा और फिर एक यात्रा की शुरुआत आखिर क्यों?
पहले एक सभा भी होगी
मुख्यमंत्री की इस यात्रा के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार वह पूर्व की तरह एक सभा को संबोधित करेंगे। यह बताएंगे कि किस तरह से शराबबंदी के खिलाफ कुछ लोग सक्रिय हैं। सतत जीविकोपार्जन योजना के बारे में संबंधित जिले के अधिकारियों के साथ बात करेंगे।
यह हैं इस यात्रा के सियासी मायने
मुख्यमंत्री की इस यात्रा को इसलिए महत्व दिया जा रहा है कि हाल ही में जहरीली शराब से हुई मौत के बाद कई स्तर पर शराबबंदी के औचित्य पर लोग बोलने लगे थे। जहरीली शराब से हुई मौत के बाद जब विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मुआवजे को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया था तब मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा था कि मुआवजे का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने यह घोषणा की थी कि शराबबंदी के प्रति लोगों को जागरूक किए जाने को ले वह फिर से यात्रा पर निकलेंगे।
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