देश में मांस खाने को लेकर अक्सर नेताओं के तमाम बयान आते ही रहते हैं। जिससे इस तरह के विवाद खत्म होने के बजाय और गहराते जाते हैं। पिछले दिनों देश के तमाम राज्यों में झटका और हलाल मीट को लेकर राजनीतिक माहौल भी गर्म रहा है। इसमें हिन्दू, मुस्लिम के अलांवा सिख समुदाय के लोग भी अपना तर्क रखते रहे।
अब बीफ के खाने को लेकर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का एक बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। उनका कहना था कि सिर्फ एक समुदाय के लोग ही बीफ नहीं खाते हैं। कांग्रेसी नेता ने आरएसएस पर आरोप लगाया कि यह संगठन इंसानों के बीच मतभेद पैदा करने का काम करता है।
बीते सोमवार को तुमकुरू में एक कार्यक्रम के दौरान सिद्धारमैया ने कहा कि, “मैं एक हिन्दू हैं, और मैंने अपने जीवन में कभी-भी बीफ का सेवन नहीं किया। और यदि भविष्य मैं चाहूं तो बीफ खा सकता हूं, आप कौन होते हैं सवाल उठाने वाले। बीफ खाने वाले सिर्फ एक ही समुदाय से नहीं आते। हिन्दू और इसाई भी बीफ खाते हैं। इससे पहले मैंने कर्नाटक विधानसभा में भी कहा था कि आप कौन होते हैं यह कहने वाले कि मैं बीफ खाऊं या नहीं।”
कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने जनवरी 2021 में कर्नाटक वध रोकथाम और मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2020 लागू किया था। इस कानून के मुताबिक किसी पशु का वध करना, व्यापार करना, परिवहन करना अवैध कार्य है। इसमें गाय, बैल के अलांवा भैंस भी शामिल हैं।
इस कानून का पालन नहीं करने पर 7 साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलांवा 50,000 से 5 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 13 वर्ष से अधिक उम्र की भैंस और गंभीर रूप से बीमार मवेशी इस श्रेणी में नहीं आते हैं। लेकिन उनका वध भी किसी पशु चिकित्सक के प्रमाणित करने के बाद ही कराया जा सकता है।
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