इस ग्रह के परिवर्तन से बन गया लक्ष्मीनायण योग, 5 दिन के लिए इन राशियों पर रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा

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कल 13 जुलाई को शुक्र ने मिथुन राशि में प्रवेश कर लिया है। शुक्र के मिथुन में जानें से पांच दिनों के लिए यहां बुध के साथ मिलकर लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण हो रहा है। 13 से 17 जुलाई तक इस योग के कारण कई राशियों के लिए समय बहुत अच्छा रहेगा। यहां जानें शुक्र के राशि परिवर्तन का और बुध के साथ युति बनाने से कन्या से लेकर मीन राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

कन्या :- कन्या लग्न में भाग्य एवं धन के कारक होने के कारण परम राजयोग कारक एवं शुभ फल प्रदानक ग्रह के रूप में कार्य करेंगे । यहां राज्य भाव में गोचर करते हुए शुक्र गृह और वाहन सुख में वृद्धि करेंगे। जमीन जायदाद से जुड़े कार्यों में प्रगति प्रदान करेंगे। सम्मान में वृद्धि उत्पन्न करेंगे । भाग्य का साथ प्राप्त होगा । पैतृक संपत्ति का लाभ प्राप्त होगा। जीवनसाथी का स्नेह प्राप्त होगा ।प्रेम संबंधों में मधुरता की स्थिति उत्पन्न होगी। धन संबंधित कार्यों में वृद्धि एवं पारिवारिक कार्यों में भी वृद्धि की स्थिति उत्पन्न होगा।

तुला :- तुला लग्न वालों के लिए शुक्र अष्टम एवं लग्न के कारक होकर शुभ फल प्रदायक ग्रह के रूप में ही कार्य करेंगे । क्योंकि लग्नेश होने के कारण शुक्र को अष्टमेश का दोष नही लगेगा। अतः शुक्र यहाँ शुभ फल ही प्रदान करेंगे । मिथुन राशि में गोचर करते हुए शुक्र भाग्य भाव में गोचर करेंगे परिणाम स्वरूप भाग्य में परिवर्तन। पिता के सुख सानिध्य में परिवर्तन । सामाजिक पद प्रतिष्ठा में परिवर्तन । नौकरी व्यवसाय में प्रगति एवं परिवर्तन । स्वास्थ्य को लेकर सामान्य तनाव उत्पन्न हो सकता है। आंतरिक डर का वातावरण भी उत्पन्न हो सकता है बौद्धिक व वैचारिक उन्नति का भी संयोग बनेगा।

वृश्चिक :- वृश्चिक लग्न वालों के लिए शुक्र सप्तम एवं द्वादश भाव के कारक के रूप में प्रभाव स्थापित करने के कारण शुक्र को बहुत शुभ कारक ग्रह नहीं माना जाता है। इस कारण से मिथुन राशि में गोचर कर रहे शुक्र का प्रभाव थोड़ा नकारात्मक पड़ेगा । दांपत्य में अवरोध की स्थिति ।दैनिक आय में तनाव का वातावरण । व्यापारिक संबंधों में तनाव की स्थिति। पारिवारिक कार्यों में प्रगति की स्थिति
। अचानक लंबी यात्रा के कारण खर्च भी उत्पन्न हो सकता है । पेट की आंतरिक समस्या एवं पेशाब संबंधी समस्या के कारण तनाव उत्पन्न हो सकता है । अतः शुक्र के इस गोचर के समय स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा।

धनु :- धनु लग्न वालों के लिए शुक्र है छठे एवं 11वे भाव का कारक ग्रह होने के कारण शुभ फलदायक ग्रह के रूप में नहीं माना जाता है । फिर भी मिथुन राशि में शुक्र का गोचर दांपत्य जीवन में शुभता । प्रेम संबंधों में सकारात्मकता। दैनिक आय में प्रगति की स्थिति। आय के संसाधनों में सकारात्मक वृद्धि। कलात्मकता में वृद्धि के साथ-साथ जीवन साथी के स्वास्थ्य के प्रति भी सतर्क रहना होगा । कार्यस्थल पर आय के लिए थोड़ा सा संघर्ष ज्यादा करना पड़ेगा । साझेदारी के कार्यों में सकारात्मक प्रगति देखने को मिलेगा।

मकर :- मकर लग्न वालों के लिए शुक्र पंचम एवं दशम भाव के कारक होने के कारण परम राजयोग कारक ग्रह माने जाते हैं । शुक्र मिथुन राशि में छठे भाव में गोचर करेंगे ऐसी स्थिति में संतान पक्ष को लेकर के थोड़ी सी चिंता उत्पन्न हो सकती है । अध्ययन अध्यापन से जुड़े लोगों के लिए भी यह समय थोड़ा सा अवरोधक हो सकता है। परिश्रम में अवरोध की स्थिति। कार्यस्थल पर अधिक परिश्रम के बाद भी परिणाम में कमी हो सकती है। पिता के स्वास्थ्य को लेकर के भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। अचानक में यात्रा का भी संयोग बनेगा। अति घनिष्ठ परिवारी जनों को लेकर की भी थोड़ी सी चिंता बढ़ सकता है।

कुम्भ :- कुंभ लग्न वालों के लिए शुक्र सुख एवं भाग्य के कारक होने के कारण परम राजयोग कारक एवं शुभ फल प्रदायक ग्रह के रूप में माने जाते हैं । ऐसी स्थिति में मिथुन राशि पंचम भाव में गोचर करना अत्यंत शुभ फल प्रदायक साबित होगा। सुख के संसाधनों में वृद्धि। माता माता एवं पिता के पक्ष से शुभ समाचार की स्थिति बनेगी । गृह एवं वाहन के सुख में सकारात्मक वृद्धि होगा। संतान पक्ष से शुभ समाचार की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी यह समय उपलब्धि कारक साबित होगा। आय के साधनों में सकारात्मक वृद्धि भी इस अवधि में देखने को मिलेगा।

मीन:- मीन लग्न वालों के लिए शुक्र अष्टम एवं तृतीय भाव के कारक होने के कारण अशुभ फल प्रदायक के रूप में कार्य करता है। ऐसी स्थिति में चतुर्थ भाव में अष्टमेश का गोचर करना सीने की तकलीफ में वृद्धि, कफ़ सर्दी ,खांसी, एलर्जी एवं घबराहट में वृद्धि । सुख में कमी महसूस हो सकता है । माता के स्वास्थ्य को लेकर थोड़ी सी चिंता हो सकती है। घरेलू समस्या इस अवधि में तनाव उत्पन्न कर सकते हैं । सामाजिक पद प्रतिष्ठा में वृद्धि का भी संयोग बनेगा । कार्य क्षमता में वृद्धि होगा परंतु तनाव भी साथ साथ बना रहेगा। इस समय अवधि में सतर्क होकर ही कोई निर्णय लेना ठीक होगा।

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