MDH, Everest Masala Row: भारत मसालों का देश कहा जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के विभिन्न हिस्सों में 109 मसाले उगाये जाते है। जिसमें से 63 मसाले भारत में ही होते है और विश्व भर में निर्यात किये जाते है। इन्हीं मसालों की वजह से भारत के खाने में जो स्वाद आता है उसकी पूरी दुनिया दीवानी है।
भारत के कुछ महत्त्पूर्ण मसाले काली मिर्च ,इलाइची ,दालचीनी , लौंग, मिर्च ,अदरक ,जीरा ,सौफ, मेथी, अजवाइन, धनिया, अदरक, तेज पत्ता ,जायफल, जावित्री, खस-खस आदि है। मसालों का महत्त्व केवल खाने का स्वाद और महक बढ़ाना ही नहीं है बल्कि इसका व्यापारिक ,औधोगिक और आयुर्वेदिक महत्त्व भी है। साधारण भाषा में कहे तो मसाला खाद्य सामग्री नहीं है, लेकिन इसका उपयोग खाने को सुगन्धित और स्वादिस्ट बनाने के लिए किया जाता है। लेकीन भारत के दो फेमस मसालो पर ग्रहण लग गया है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, भारत के मसालों की क्वालिटी पर सवाल उठे हैं। गुणवत्ता से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए सिंगापुर और हांगकांग में एमडीएच और एवरेस्ट मसाले की कुछ किस्मों पर प्रतिबंध लगाया गया है। वाणिज्य मंत्रालय ने सिंगापुर और हांगकांग में भारतीय दूतावासों को प्रतिबंध के कारणों से जुड़ी एक डिटेल रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया गया है। सिंगापुर और हांगकांग के फूड सेफ्टी रेगुलेटर्स का आरोप है कि एमडीएच और एवरेस्ट के चार मसाला प्रोडक्ट्स में कीट भारत के मसालों की क्वालिटी पर सवाल उठे हैं। गुणवत्ता से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए सिंगापुर और हांगकांग में एमडीएच और एवरेस्ट मसाले की कुछ किस्मों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
वाणिज्य मंत्रालय ने सिंगापुर और हांगकांग में भारतीय दूतावासों को प्रतिबंध के कारणों से जुड़ी एक डिटेल रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है। सिंगापुर और हांगकांग के फूड सेफ्टी रेगुलेटर्स का आरोप है कि एमडीएच और एवरेस्ट के चार मसाला प्रोडक्ट्स में कीटनाशक ‘एथिलीन ऑक्साइड’ स्वीकार्य सीमा से ज्यादा है।
एथिलीन ऑक्साइड क्या और ये कितना बड़ा खतरा?
एथिलीन ऑक्साइड कई इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाला रसायन है। यह एक कैंसर पैदा करने वाला कैमिकल है जो स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। साथ ही मनुष्यों में डीएनए, मस्तिष्क और तंत्रकि तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। कमरे के तापमान पर एथिलीन ऑक्साइड एक मीठी गंध वाली ज्वलनशील रंगहीन गैस है। इसका इस्तेमाल दूसरे रसायनों को बनाने में किया जाता है। साथ ही यह कीटाणुनाशक और स्टरलाइजिंग एजेंट के रूप में काम आते हैं। अमेरिका की नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट की वेबसाइट पर लिखी जानकारी के मुताबिक एथिलीन ऑक्साइड की डीएनए को नुकसान पहुंचाने की क्षमता इसे एक प्रभावी स्टरलाइजिंग एजेंट बनाती है, लेकिन यह कैंसर पैदा करने के लिए भी जिम्मेदार है। एथिलीन ऑक्साइड इंसानों के शरीर में सांस के मार्ग से पहुंच सकता है।
आम तौर पर इससे जुड़े बिजनेस में काम करने वाले, प्रोडक्ट के उपभोक्ता या पर्यावरणीय जोखिम के जरिए लोग एक्सपोज हो सकते हैं। एथिलीन ऑक्साइड बेहद विस्फोटक और प्रतिक्रियाशील होते हैं, जिस कारण इसके व्यावसायिक इस्तेमाल वाले उपकरण कसकर बंद किए जाते हैं या फिर ऑटोमैटिक होते है। इससे व्यावसायिक जोखिम कम हो जाता है। हालांकि इन सावधानियों के बावजूद औद्योगिक उत्सर्जन के कारण इसके आसपास रहने वाले लोग या श्रमिक संपर्क में आ सकते हैं।
किस तरह की हो सकती है दिक्कते?
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर यानी IARC और अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी यानी EPA एथीलीन ऑक्साइड को इंसानों के लिए कैंसरकारी मानती है। EPA के मुताबिक इस कैमिकल का थोड़े समय के लिए संपर्क मानव तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। इससे डिप्रेशन या आंखों में जलन हो सकती है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से आंख, त्वचा, नाक, गले और फेफड़ों में जलन हो सकती है। मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को नुकसान हो सकता है।
- EPA का कहना है कि कुछ सबूत दिखाते हैं कि एथिलीन ऑक्साइड के सांस के संपर्क में आने से महिला श्रमिकों में गर्भपात की वृद्धि कर सकता है।
- EPA की रिपोर्ट के मुताबिक, जानवरों में इस गैस से प्रजनन से जुड़े प्रभाव देखे गए हैं, जिसमें उनके शुक्राणु के कंसनट्रेशन में कमी देखी गई है।
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