समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने एक बार फिर जातीय जनगणना (caste census) का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि राम राज्य, समाजवाद तभी संभव है जब जातीय जनगणना होगी। जातीय जनगणना होने के बाद ही सबका साथ, सबका विकास होगा। बता दें कि जातीय जनगणना के पक्ष में कई पार्टियां और नेता हैं। लंबे समय से इसकी मांग उठ रही है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने भी पिछले दिनों जातीय जनगणना का मुद्दा उठाया था। लोक सभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को लेकर अखिलेश यादव काफी एक्टिव दिखाई दे रहे हैं।
लखनऊ में शनिवार को ईद पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक एक मंच पर नजर आए। दोनों नेता ऐशबाग ईदगाह मैदान में ईद की मुबारकबाद देने पहुंचे थे। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक करीब 11 बजे ईदगाह पहुंचे। फिर 11.30 बजे अखिलेश यादव भी पहुंचे। इस दौरान दोनों नेताओं का आमना-सामना हुआ। दोनों ने एक दूसरे का अभिवादन भी किया।
इस दौरान सपा प्रमुख ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए कहा, “रामराज्य, समाजवाद तभी संभव है। जब जातीय जनगणना हो। जातीय जनगणना होने से सबका साथ-सबका विकास होगा। जातीय जनगणना से ही भाईचारा आएगा। जातीय जनगणना से ही भेदभाव खत्म होगा, जातीय जनगणना से ही लोकतंत्र मजबूत होगा। जातीय जनगणना से ही समाजवाद आएगा। जातीय जनगणना से ही रामराज्य आएगा।”
वहीं दूसरी ओर लंबे समय से चली आ रही मांग और कड़े सियासी दांव पेच के बाद बिहार में आखिरकार जातिगत जनगणना का काम शुरू हो गया है। 7 जनवरी 2023 से नीतीश सरकार ने बिहार में जातिगत जनगणना का काम शुरू किया है। जातियों की गिनती का काम दो चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में घरों की गिनती होगी और दूसरे चरण में जातियों को गिना जाएगा। बता दें कि बिहार सरकार लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रही थी।
बता दें कि जातिगत जनगणना का मतलब यह है कि जब देश में जनगणना की जाए तो इस दौरान लोगों से उनकी जाति भी पूछी जाए। इससे देश की आबादी के बारे में तो पता चलेगा ही, साथ ही इस बात की जानकारी भी मिलेगी कि देश में कौन सी जाति के कितने लोग रहते है। फ़िलहाल केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के लिए पहले ही मना कर चुकी है।
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