हिजाब की जबरदस्ती को लेकर ईरान में महिलाएं सड़क पर उतर चुकी है। उनका प्रदर्शन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। महिलाएं बड़े पैमाने पर अपनी मांगो को दुनिया के सामने रख रही है। इस बीच एक बार फिर से ईरानी सुरक्षाबलों ने क्रूरता की हदें पार कर दी है। सुरक्षाबलों ने यहां 20 साल की युवती हदीस नजफी की बेरहमी से हत्या कर दी है, जिसके बाद प्रदर्शन कर रही महिलाओं को झटका लगा है।
मिली जानकारी के अनुसार सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें देखा जा सकता है की मृतका अपने खुले बालों को बांध रही थी, ताकि प्रदर्शन में हिस्सा ले सके। कहा जा रहा कि हदीस को गर्दन, सीने, चेहरे और पेट में गोलियां मारी गई है। इस विरोध प्रदर्शन में अब तक 57 लोगों की जान जा चुकी है।
पत्रकार और महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली मसीह अलीनेजाद ने 25 सितंबर को हदीस की मृत्यु की पुष्टि की है। उन्होंने हदीस का एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें वह प्रदर्शन में शामिल होने के लिए तैयार हो रही थीं।
अलीनेजाद ने ट्वीट कर लिखा, ‘ये 20 साल की लड़की महसा अमीनी की हत्या के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए तैयार हो रही थी। इसे छह गोली मारी गई है। इसे इस्लामिक रिपब्लिक के सुरक्षा बलों ने सीने, चेहरे और गर्दन पर गोली मार दी।’ वीडियो में दिख रहा है कि वह विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए अपने बालों को बांध रही है। हदीस के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि 21 सितंबर को उन्हें गोली मार दी गई थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका।
मेडिकल रिपोर्ट में सामने आया था कि महसा अमीनी को हिरासत के दौरान मारा पीटा गया। उनके सिर पर चोट के निशान थे। इसी वजह से वह कोमा में चली गई थीं। हालांकि ईरान प्रशासन का कहना है कि महसा को अचनाक हार्ट अटैक आ गया था। बता दें कि 1779 में इस्लामिक रिवोल्यूशन के बाद महिलाओं कि हिजबा पहनना अनिवार्य कर दिया गया था।
वहीं ईरान की महिलाएं कई बार हिजाब को ढीला करके पहनती थीं जिस वजह से वह कई बार कान के पास या गर्दन पर आ जाता था। 1981 में कानून बनाया गया तब भी बड़े प्रदर्शन हुए थे। यूके की सरकार ने भी ईरान की महसा अमीनी की मौत को लेकर निंदा की है। हालांकि इस बात की आलोचना हो रही है कि हाल ही में न्यूयॉर्क में यूएन की बैठक के दौरान ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की आलोचना क्यों नहीं की गई।
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