Shri Sammed Shikharji को पर्यटन स्थल घोषित करने के फैसले के खिलाफ अनशन पर बैठे एक और जैन मुनि ने त्यागे प्राण

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जैन तीर्थस्थल सम्मेद शिखर के लिए एक और जैन मुनि ने अपने प्राण त्याग दिए। गुरुवार देर रात 1.20 बजे मुनि समर्थ सागर का निधन हो गया। चार दिन में ये दूसरे संत हैं, जिन्होंने अपनी देह त्याग दी। शुक्रवार सुबह जैसे ही संत के देह छोड़ने की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में जैन समुदाय के लोग मंदिर पहुंचने लगे।

संत की डोल यात्रा संघीजी मंदिर से विद्याधर नगर तक निकाली गई। इस मौके पर जैन संत शशांक सागर ने कहा कि जब तक झारखंड सरकार सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल घोषित नहीं करेगी तब तक मुनि ऐसे ही बलिदान देते रहेंगे।

इससे पहले श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ ‘उपवास व्रत’ कर रहे एक जैन मुनि का मंगलवार को जयपुर में निधन हो गया था।

Jharkhand Government ने किया था पर्यटन बनाने का ऐलान

आपको बता दें कि इसके पहले झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने के लिए आदेश जारी किया था। जिसको लेकर जैन समुदाय में नाराजगी थी, और जयपुर में 25 दिसंबर से ही कई जैन मुनियों ने झारखंड सरकार के इस फैसले के विरोध में आमरण अनशन शुरू कर दिया था। हालांकि जैसे ही गुरुवार को पहले जैन मुनि का निधन हुआ उसके तुरंत बाद ही केंद्र सरकार ने पारसनाथ पहाड़ी पर सभी पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। पारसनाथ पहाड़ी पर जैन धार्मिक स्थल सम्मेद शिखरजी को लेकर केंद्र ने झारखंड सरकार को इसकी पवित्रता की रक्षा के लिए तुरंत सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिये हैं।

पूरे देश के लिए पवित्र है सम्मेद शिखरजी – केन्द्र सरकार

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के बाद उन्हें आश्वासन दिया था कि सरकार सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जो देश के लिए एक पवित्र स्थान है। आपको बता दें कि झारखंड के गिरिडीह जिले जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है। जैन समुदाय के सदस्यों ने पारसनाथ पहाड़ी पर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के फैसले का लगातार विरोध कर रहे थे।

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