Basant Panchami: आज पूरे देश में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी के दिन स्वर और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां सरस्वती साधक को ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं। हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व न केवल बसंत ऋतु के आगनम का संदेश है बल्कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर बह्मा जी के मुख से मां सरस्वती की अवतरण भी हुआ था।
14 फरवरी बुधवार को बसंत पंचमी के अवसर पर ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी की ओर से प्रसादी गुलाल उड़ाए गए हैं। प्रसादी गुलाल के साथ ही ब्रज की प्रसिद्ध होली पर्व की शुरुआत हो गई है। सब जग होरी जा ब्रज में होरा, ये प्राचीन कहावत एक बार फिर से बुधवार को विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में बरस रहे गुलाल से चरितार्थ हुई है। श्रृंगार आरती के बाद ठाकुर जी की ओर से उड़ाई गई प्रसादी गुलाल में सराबोर होकर भक्त आज बिरज में होरी रे की गूंज कर रहे हैं।
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, इसका समापन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 01 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
इस तरह करें पूजा
आप लोग पूजा के दौरान घर के सभी सदस्यों को खासकर बच्चों को जरूर शामिल करें। अब परिवार सहित मां सरस्वती जी को पीले फूल और केसर रोली, चंदन, हल्दी और अक्षत अर्पित करें। इसके साथ ही माता को पीले रंग के वस्त्र समर्पित करना भी बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही मां सरस्वती को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। शिक्षा और कला के क्षेत्र में उन्नति के लिए माता सरस्वती की पूजा में शिक्षा से संबंधित चीजें जैसे पेन, कॉपी और वाद्य यंत्र भी शामिल करने चाहिए।
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