उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 31 जुलाई को लेखपाल भर्ती मुख्य परीक्षा हुई थी। इसमें दो लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने प्रतिभाग किया था। यह परीक्षा अयोध्या, अलीगढ़, आगरा, बरेली, मेरठ, गोरखपुर, प्रयागराज, मुरादाबाद, झांसी, कानपुर नगर, लखनऊ व वाराणसी के कुल 501 परीक्षा केंद्रों पर सुबह 10 बजे से 12 बजे तक एक पाली में संपन्न हुई थी।
इससे पहले एसटीएफ को परीक्षा में साल्वर गिरोह के शामिल होने की जानकारी मिल गई। इसके बाद प्रयागराज, लखनऊ, मुरादाबाद, वाराणसी, कानपुर नगर, बरेली, बलिया व गोंडा से गिरोह में शामिल कुल 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया। गिरोह का मुख्य आरोपित विजय कांत पटेल ने लेखपाल परीक्षा में साल्वर बिठाने के लिए प्रति अभ्यर्थी 10-10 लाख रुपये लिए थे।
अब एसटीएफ की पड़ताल में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। बताया जा रहा है कि लेखपाल भर्ती परीक्षा में करीब 15 हजार संदिग्ध अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इस तथ्य के सामने आने के बाद लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने का शक गहरा गया है।
एसटीएफ ने यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को पूरे प्रकरण की रिपोर्ट भेजी है। प्रश्नपत्रों के क्रम के साथ संदिग्ध छात्रों की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। एसटीएफ की ओर से उन छात्रों का ब्योरा भी आयोग से मांगा गया है।
जांच में कुछ खास सेट के प्रश्नपत्र संदिग्ध अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराए जाने का शक है। क्रम संख्या और सेट के साथ आयोग को रिपोर्ट दी गई है कि वह ऐसे अभ्यर्थियों को चिह्नित करने में मदद करे। हालांकि आयोग की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
एसटीएफ की जांच में पता चला है कि साल्वर गिरोह ने एक ही जैसे सेट संदिग्ध अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराए थे। इसमें कई केंद्र व्यवस्थापकों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
आयोग से संबंधित सेट का प्रश्न हल करने वाले अभ्यर्थियों के बारे में जानकारी मांगी गई है ताकि उनकी स्क्रीनिंग कर मुख्य सरगना तक पहुंचा जा सके। दो सप्ताह से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक आयोग ने एसटीएफ को आख्या नहीं सौंपी है।
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