लखनऊ: लखनऊ के कैसरबाग कोर्ट में एक बड़ा शूटआउट हुआ। कोर्ट परिसर में गैंगस्टर संजीव महेश्वरी जीवा को गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर वकील की ड्रेस में था। संजीव महेश्वरी मुख्तार अंसारी का करीबी था। वह बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड का आरोपी था। पेशी के लिए संजीव को कोर्ट में लाया गया था। जानकारी के अनुसार गोली कांड में चार पांच लोग घायल है। संजीव महेश्वरी जीवा पश्चिम यूपी का कुख्यात गैंगस्टर था। पुलिस ने एक हमलावर को हिरासत में लिया है। घायल अवस्था में हमलावर को पुलिस अस्पताल ले गई।
वकीलों ने सुरक्षा को लेकर जताई चिंता
बता दे कि घटना के बाद वकीलों में आक्रोश है। वकीलों ने सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। चश्मदीद ने बताया कि हमलावर ने छह गोलियां चलाई थीं। कोर्ट परिसर में खून के घब्बे गिरे हुए हैं। दीवारों पर भी खून के धब्बे हैं। घटना के बाद पुलिस ने वहां से बॉडी को हटाया गया।
कौन है संजीव जीवा, जिसकी हत्या हुई
संजीव जीवा को माफिया मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता था। संजीव जीवा वेस्ट यूपी का एक कुख्यात अपराधी था, जो कभी कंपाउंडर हुआ करता था। उसने एक बार अपने ही मालिक का किडनैप कर लिया था। पश्चिमी यूपी का कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद था। हाल ही में प्रशासन द्वारा उसकी संपत्ति भी कुर्क की गई थी।
दरअसल उत्तर प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा जितना खेती-किसानी के लिए प्रख्यात है, उतना ही गैंगस्टर और अपराधियों के लिए कुख्यात रहा है। भाटी गैंग, बदन सिंह बद्दो, मुकीम काला गैंग और न जाने कितने अपराधियों के बीच संजीव माहेश्वरी का भी नाम जुर्म की दुनिया में पनपा। 90 के दशक में संजीव माहेश्वरी ने अपना खौफ पैदा शुरू किया, फिर धीरे-धीरे वह पुलिस व आम जनता के लिए सिर दर्द बनता चला गया।
हाल ही में जीवा गैंग के एक शख्स को भी पुलिस ने पकड़ा था
बता दे कि संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा के गैंग के एक शख्स को बीते दिनों शामली पुलिस ने एके-47,1300 कारतूस और तीन मैगजीन के साथ पकड़ा था। शामली पुलिस ने रास्ते में चेकिंग के दौरान अनिल नाम के शख्स को धर दबोचा था। दरअसल, जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर के नौकरी करता था।
इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और 2 करोड़ की फिरौती मांगी थी। उस वक्त किसी से 2 करोड़ की फिरौती की मांग होना भी अपने आप में बहुत बड़ी होती थी। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी।
ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में नाम सामने आया
10 फरवरी 1997 को हुई बीजेपी के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में जीवा का नाम सामने आया था। जिसमें बाद में जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। फिर जीवा थोड़े दिनों बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया और इसी क्रम में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का संरक्षण मिला और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया।
हालांकि, कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। वहीं, संजीव पर जेल से भी गैंग ऑपरेट करने के आरोप लगते रहे हैं।
संपत्ति भी हुई कुर्क
जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद है, लेकिन साल 2021 में जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर कहा था कि उनकी (जीवा) जान को खतरा है। बता दें कि, पायल 2017 में आरएलडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं और उन्हें हार मिली थी।
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