गेहूं एक ऐसा अनाज है जो कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा खाया जाता है। चाहे इससे रोटी बनती हो या फिर ब्रेड। एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में 6020 लाख टन गेहूं की खपत हर साल होती है। भारत में इस साल (2021-22) में गेहूं का कुल उत्पादन 1113 लाख टन हुआ था।
इस साल दुनिया भर में खाने पीने की चीजों के भाव में सप्लाई गिरने की वजह से तेजी आ रही है। भारत ग्लोबल फूड क्राइसिस में एक महत्वपूर्ण योगदान यही कर सकता है कि यह अपने देश के गरीब लोगों की थाली से रोटी ना छीने।
भारत के लिए जरूरी यह है कि यह अपनी पूरी आबादी को पोषण उपलब्ध कराने की कोशिश में कामयाबी हासिल करे। दुनिया में आबादी के लिहाज से दूसरे सबसे बड़े देश में राज्य सरकार की खरीद और जन वितरण प्रणाली के जरिए गरीबों तक पोषण पहुंचाने में काफी मदद मिल रही है।
अप्रैल के मध्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन से कहा था कि भारत दुनिया का पेट भर सकता है। अगर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन अनुमति देता है तो भारत अगले दिन से ही दुनिया को खाने-पीने के लिए अनाज की आपूर्ति कर सकता है। मोदी सरकार के मंत्री और सलाहकार इस बारे में ज्यादा बेहतर जानते हैं। वैसे भी केन्द्र सरकार यह बार-2 याद दिलाती ही रहती है कि उसने कोरोना महामारी के दौरान 80 करोड़ से ज्यादा आबादी को मुफ्त राशन दिया है।
जिस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिडेन से बात कर रहे थे, उत्तर भारत में उगने वाली गेहूं की फसल बेमौसम की गर्मी की वजह से खराब हो रही थी। रूस-यूक्रेन संकट की वजह से दुनिया भर में अनाज का संकट पैदा हुआ है और इस बीच भारत के लिए एक अवसर आया कि वह इंटरनेशनल ट्रेड में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सके। इस साल पढ़ने वाली बेहिसाब गर्मी और गरीबों के लिए गेहूं के संकट की वजह से भारत के मंसूबे पर पानी फिर गया।
इसके बाद मई के मध्य में भारत में गेहूं के निर्यात पर बैन लगा कर अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश की। यह वास्तव में कोरोनावायरस की अवधि में पीएम मोदी के एक बयान की तरह था। मोदी ने कहा था कि दुनिया की फार्मेसी के रूप में मशहूर भारत मानवता की रक्षा कर सकता है। इसके बाद भारत में डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण की रफ्तार बढ़ने की वजह से उसने अपने कदम पीछे खींच लिए। इस साल 31 मार्च तक ग्लोबल वैक्सीन ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.3 फीसदी थी।
दुनियाभर के देश अपने नागरिकों को राहत उपलब्ध कराने के लिए इंटरनेशनल ट्रेड में अपनी हिस्सेदारी घटा रहे हैं। इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात पर रोक लगा दी जबकि मलेशिया ने चिकन के निर्यात पर रोक लगा दी थी। दुनिया के 30 देशों ने इस तरह के उपाय अपनाए थे जिससे कि वे अपनी आबादी के लिए चीजें आसानी से उपलब्ध करा सकें। पिछले साल भारत में 1 किलो गेहूं से 770 ग्राम आटा बना था, इस साल खराब मौसम की वजह से 1 किलो गेहूं से 720 ग्राम आटा बन सकता है। इस साल मार्च महीना पिछले 122 सालों में सबसे गर्म रहा है।
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