पिछले दिनों यूपी की योगी सरकार ने क्रिसमस की आड़ में धर्म परिवर्तन न होने पाए, ऐसी घटनाओं पर रोक के लिए उन्होंने सख्त आदेश दिया था। वहीं अब प्रदेश के फतेहपुर जिले (Fatehpur) में एक कथित अवैध धर्मांतरण मामले की पुलिस जांच में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। पुलिस की आठ महीने की जांच में सामने आया है कि धर्मांतरण के लिए आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को प्रलोभन दिया जाता था। इसके लिए विदेश से फंडिंग होती थी। पुलिस ने इस मामले में प्रयागराज नैनी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के चांसलर समेत चार को नोटिस जारी किया है और उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया है।
क्या है पूरा मामला
कथित धर्मांतरण का यह मामला इस साल 14 अप्रैल का है। पुलिस ने अपनी जांच के बाद बताया कि मामले में आरोपियों द्वारा नौकरी, शिक्षा और घर देने का वादा कर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। ऐसे कुछ लोग पुलिस की जांच के बाद सामने आए हैं जिनका धर्म परिवर्तन कराया गया है। पुलिस ने जानकारी दी है कि लगभग चार महीने बाद किशन (45) और सत्य पाल (42) के रूप में पहचाने जाने वाले दो स्थानीय किसानों दावा किया कि उनका धर्मांतरण अप्रैल में चर्च में हुआ था।
इनके अलावा प्रमोद कुमार दीक्षित, संजय सिंह और राजेश कुमार त्रिवेदी नाम के लोग भी सामने आए हैं और हलफनामा दायर किया कि आरोपियों ने उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मनाने की कोशिश की थी। सभी पांचों ने पुलिस को बताया कि वे 14 अप्रैल को चर्च में थे, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही भाग गए थे।
जांच के दौरान सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के चांसलर डॉ जेट्टी ए ओलिवर, कुलपति बिशप राजेंद्र बी लाल और प्रशासनिक अधिकारी विनोद बी लाल की भूमिका सामने आई है। पुलिस ने इन्हें 29 दिसंबर तक अपनी भूमिका स्पष्ट करने के लिए कहा है।
लंदन से भेजे गए पैसे
पुलिस का दावा है कि इन सभी के खातों में लंदन से रुपये भेजे गए. इसके बाद इन्होंने ये पैसे चर्च की संस्था को उपलब्ध कराए. पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि अगर ये लोग दोषी पाए जाते हैं तो इनपर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इनको बयान दर्ज कराने के लिए हर हाल में पुलिस के सामने उपलब्ध रहना होगा।
हिन्दू संगठनो ने किया था विरोध
मामले के अगले ही दिन झूठे वादे कर धर्म परिवर्तन का झांसे का आरोप लगाकर बजरंग दल सहित कुछ हिंदू संगठनों ने फतेहपुर के हरिहरगंज इलाके में इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया (ईसीआई) द्वारा चलाए जा रहे एक चर्च के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। विश्व हिन्दू परिषद के एक स्थानीय नेता हिमांशु दीक्षित की शिकायत के आधार पर अगले दिन एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
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