Jammu and Kashmir: केंद्र सरकार ने यासीन मलिक के संगठन पर बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के संगठन पर प्रतिबंध बढ़ाते हुए, गृह मंत्रालय ने शनिवार को घोषणा की कि ‘जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट’ पांच साल की अवधि के लिए एक ‘गैरकानूनी संगठन’ होगा। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर में आतंक और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों में शामिल है।
उन्होंने आगे कहा कि देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने वाले किसी भी व्यक्ति को कठोर कानूनी परिणाम भुगतने होंगे। गृह मंत्रालय (MHA) ने 2019 में आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत मलिक के संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस कदम से कुछ दिन पहले, सरकार ने यूएपीए की धारा 3(1) के तहत जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया था।
जेकेएलएफ पर क्या है आरोप
JKLF पर भी उन्हीं धाराओं के तहत प्रतिबंध लगाया गया था, जो केंद्र को किसी भी एसोसिएशन को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित करके गैरकानूनी घोषित करने की शक्ति देता है। X पर एक अन्य पोस्ट में अमित शाह ने लिखा कि आतंकवाद के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की शून्य-सहिष्णुता की नीति का पालन करते हुए, गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स लीग के चार गुटों की घोषणा की है- अर्थात्, जेकेपीएल (मुख्तार अहमद वाजा), जेकेपीएल (बशीर अहमद तोता), याकूब शेख के नेतृत्व वाले जेकेपीएल (गुलाम मोहम्मद खान) और जेकेपीएल (अजीज शेख) को ‘गैरकानूनी संघ’ के रूप में जाना जाता है।
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