गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा शुरु, 13 लाख से अधिक श्रद्धालु ने कराया पंजीकरण

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नई दिल्ली: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र गंगोत्री, यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही श्रद्धालुओं की यात्रा शुरु हो गई है। अलकनंदा किनारे बैठे देवाधिदेव महादेव के दरवाजे भी भक्तों के लिए खुलने वाले हैं तो वहीं मंदाकिनी किनारे भगवान विष्णु का बैकुंठ धाम कहे जाने वाले बद्रीनाथ के कपाट भी खुलने वाले हैं। चार धाम यात्रा पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु भी निकल चुके हैं। उत्तराखंड में आजकल हर तरफ आस्था का सैलाब नजर आ रहा है। हर की पैड़ी शुरू होते होते ही श्रद्धालु हिमालय की ओर बढ़ते दिखने लगते हैं। कुछ गंगा में डुबकी लगाकर आगे जा रहे हैं तो कुछ वापसी के समय गंगा स्नान की योजना बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश पार करते ही सड़कों पर गाड़ियों का लंबा काफिला दिखना शुरू हो जाएगा। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के चलते अक्सर ट्रैफिक जाम की स्थिति हो जा रही है। ऋषिकेश से गुजरते हुए संकरी सड़कों पर ट्रैफिक से निपटने के लिए व्यवस्था तो है लेकिन इस व्यवस्था के आगे श्रद्धालुओं की संख्या भारी पड़ रही है।

केदारनाथ से बद्रीनाथ की ओर जाने वाले यात्रियों को ऋषिकेश होकर जाना पड़ेगा। ऐसे में ऋषिकेश में ट्रैफिक व्यवस्था संभाल रहे संदीप तोमर बताते हैं कि वह यात्रा को लेकर उत्साहित हैं और किसी भी हाल में यात्रियों को तकलीफ नहीं होने देंगे। देवप्रयाग के आगे पहुंचने पर पड़ोसी देश नेपाल से चार धाम यात्रा पर आए श्रद्धालु भी नजर आए।

यात्रा के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरु

चारधाम की यात्रा के लिए उत्तराखंड की सरकार ने श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। उत्तराखंड सरकार की वेबसाइट पर अगर आपने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया तो श्रद्धालु हरिद्वार में बस स्टैंड के पास जिला पर्यटन केंद्र पहुंचकर भी ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। इसके लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा। यात्रा मार्ग के होटल में भी प्री बुकिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराने की सुविधा भी उपलब्ध है। जिन यात्रियों ने चारधाम यात्रा के लिए होटल बुकिंग करवा ली है लेकिन ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं तो ऐसे यात्रियों के लिए फोन नंबर भी जारी किए गए हैं। चारधाम यात्रा के लिए टोल फ्री नंबर 1364 (उत्तराखंड से) या 0135-1364 या 0135-3520100 पर कॉल करके पंजीकरण कराया जा सकता है। जानकारी के अनुसार, चारधाम यात्रा के लिए अब तक 13 लाख से भी ज्यादा यात्री अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। कोरोना महामारी के बाद चारधाम यात्रा के शुरू होने पर श्रद्धालुओं की तादाद में हुए इजाफे से उत्तराखंड सरकार भी खुश है। इस धार्मिक पर्यटन से उत्तराखंड सरकार को अच्छे राजस्व की प्राप्ति होगी। गढ़वाल मंडल की ओर से संचालित गेस्ट हाउस की बुकिंग संख्या भी आठ करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है।

उत्तराखंड सरकार ने जारी की गाइडलाइंस

उत्तराखंड सरकार की ओर से चारधाम यात्रा के लिए जगह-जगह गाइडलाइंस के बोर्ड लगाए गए हैं। इनके माध्यम से श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान गर्म कपड़े, दवा और जूते के साथ ही बारिश से बचने के लिए छाता और अन्य जरूरी वस्तुएं साथ रखने की सलाह दी गई है। वरिष्ठ नागरिकों को ये हिदायत भी दी गई है कि वे हेल्थ चेकअप के बाद ही यात्रा की तैयारी करें। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए किसी तरह की कोई अनहोनी न हो, इसके लिए प्रशासन ने गौरीकुंड से केदारनाथ तक की यात्रा पैदल तय करने वालों के लिए सुबह 5 बजे से लेकर के दोपहर के डेढ़ बजे तक का समय निर्धारित किया है।

मौसम विभाग ने जारी किया बारिश का पूर्वानुमान

मौसम विभाग ने अधिक ऊंचाई वाले स्थलों पर बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। मौसम विभाग के अधिकारी विक्रम सिंह ने कहा है कि जो भी श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए जा रहे हैं, वे पूरी तैयारी के साथ जाएं। उन्होंने कहा कि पहाड़ी इलाकों में फिलहाल बारिश का अंदेशा है। पहाड़ी इलाकों में तापमान गिरने से ठंड बढ़ सकती है। विक्रम सिंह ने साथ ही कुछ दिन बाद मौसम में बदलाव की भी संभावना जताई। चारधाम यात्रा मार्ग पर गुप्तकाशी से आगे बढ़ने पर मौसम लगातार खराब हो रहा है। पहाड़ी क्षेत्र में मौसम का अजीब मिजाज देखने को मिल रहा है। बाबा केदार के धाम में लगातार बर्फबारी हो रही है और मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। इसके बावजूद श्रद्धालुओं के जोश में कोई कमी नजर नहीं आ रही है। केदारनाथ में बर्फ हटाने का काम जोर-शोर से चल‌ रहा है जिससे महादेव का दर्शन करने केदार घाटी आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की मुश्किल का सामना न करना पड़े। चारधाम की यात्रा को लेकर पंडित मोहन गौड़ कहते हैं कि इस यात्रा से न सिर्फ मोक्ष की प्राप्ति होती है बल्कि जीवन सफल हो जाता है। आचार्य मोहन कहते हैं कि इस तरह की धार्मिक यात्रा में सात्विकता का पालन जरूर करना चाहिए और नियम-परंपरा के मुताबिक ही यात्रा पूरी करें।

जगह-जगह मेडिकल कैंप की व्यवस्था

केदारनाथ के रास्ते में जगह-जगह मेडिकल कैंप लगाए गए हैं। इन मेडिकल कैंप में जरूरी दवाएं भी उपलब्ध हैं। मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों के साथ ही पाचन में परेशानी या कोई दूसरी अन्य बीमारी श्रद्धालुओं को परेशान ना करे, इसके लिए सभी जरूरी दवाएं इन मेडिकल कैंप में उपलब्ध हैं डॉक्टर्स ने श्रद्धालुओं को यात्रा मार्ग पर धीरे-धीरे आगे बढ़ने और समय पर दवाएं लेने की सलाह दी है।

भोलेनाथ के रंग में रंगा सोनप्रयाग

गौरीकुंड से पहले सोनप्रयाग एक बड़ा शहर है। ये शहर पूरी तरह भोले के रंग में रंग गया है। ट्रैफिक व्यवस्था सुचारू रखने के लिए प्रशासन ने तमाम चार पहिया वाहनों को सोनप्रयाग में ही रोक दिया है और इसके आगे की यात्रा सभी श्रद्धालुओं को पैदल या खच्चर के सहारे ही तय करनी है। देश के अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालु सोनप्रयाग पहुंच चुके हैं जो पैदल मार्ग से अब केदारघाटी की ओर चलेंगे। सोनप्रयाग में चहुंओर महादेव की जय-जयकार गूंज रही है।
सोनप्रयाग के बाद केदार घाटी की यात्रा का अगला पड़ाव गौरीकुंड है। बाबा केदार की पालकी गौरी कुंड पहुंच चुकी है और अब उसे केदारनाथ मंदिर तक ले जाया जाना है। किसी भी तरह की आपदा की स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन भी मुस्तैद है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल यानी एनडीआरएफ के साथ ही राज्य आपदा मोचन बल के जवान भी केदार घाटी पहुंच चुके हैं।

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