मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भ्रष्टाचार का पता लगाने के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया है। उनके रडार से बचना अब आसान नहीं है। उन्हें जब डॉ. विजय सिंगला के खिलाफ जब शिकायत मिली थी तो उनके विश्वस्त अधिकारियों ने इसकी जांच गुपचुप तरीके से शुरू कर दी थी। किसी को इस बात की खबर तक नहीं थी। मंत्री पर टेंडर में कमीशन लेने के आरोपों की जांच के तहत 21 अप्रैल से 27 मई तक होने वाले टेंडर्स की पड़ताल की गई थी। स्वास्थ्य विभाग को करीब 51 टेंडर जारी करने थे। इनमें से कुछ जारी भी हो चुके थे।
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला को कैबिनेट के बाहर का रास्ता ही नहीं दिखाया है, बल्कि उन्हें हवालात भिजवाकर उनके राजनीतिक भविष्य पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है। उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के बाद यह बात यहीं खत्म नहीं होने वाली है। भ्रष्टाचार को लेकर सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति अपना रखी है।
एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के रडार पर अभी दो और मंत्री हैं। इनमें से एक माझा व दूसरा दोआबा से हैं। जानकारी के मुताबिक अभी मामले की परतें खुलनी बाकी हैं। दोनों मंत्रियों के खिलाफ कुछ पाया जाता है तो कार्रवाई होने का पूरा अंदेशा जताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने सप्ताह भर पहले टेंडरों से जुड़ी जानकारी हासिल कर ली थी। डॉक्टर सिंगला से मिलने वाले उनके एक दर्जन से अधिक करीबियों की एक सूची तैयार की गई थी। जांच इतनी ज्यादा गोपनीय थी कि कार्रवाई से पहले इसकी भनक सिर्फ दो अधिकारियों को थी।
बताया जा रहा है कि कार्रवाई करने से पहले सीएम मान ने आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से 24 घंटे पहले बात की थी। सरकार ने टेंडर संबंधी सारे रिकॉर्ड भी जब्त कर लिए हैं। इनमें मोहल्ला क्लीनिक और अन्य कामों के लिए 1015 लैपटॉप्स, 500 डेस्कटॉप, 1450 प्रिंटर आदि खरीदने का 20 से 25 करोड़ रुपये का टेंडर भी शामिल है।
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