कोको द्वीप का सैन्यीकरण बना भारत के लिए चिंता
दरअसल, म्यांमार को लेकर यह आरोप लगता रहा है कि 1990 के दशक की शुरुआत में उसने द्वीपसमूह पर एक चीनी सिग्नल इंटेलिजेंस सुविधा की अनुमति दी थी। नीति संस्थान चैथम हाउस का कहना है कि इस बारे में बहुत कम सबूत मौजूद हैं, लेकिन हाल ही में सैटेलाइट तस्वीरों ने द्वीप पर गतिविधियों में वृद्धि को लेकर चिंता जताई है।
भारत के लिए क्यों हो सकता है खतरा
मैक्सर टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी की गई ताजा तस्वीरों में कोको द्वीप पर सैन्य गतिविधियां देखी गई हैं। यहां नए सिरे से निर्माण भी होता दिखा है। इसमें 2300 मीटर लंबा नया रनवे भी शामिल है। जबकि, एक दशक पहले इस रनवे की लंबाई 1300 मीटर थी। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि म्यांमार अपने गुप्त समुद्री निगरानी अभियानों के लिए द्वीपों को तैयार कर रहा है, जिसमें चीनी मिलीभगत का संदेह जताया जा रहा है। इसके अलावा यहां पर 200 इमारतों के निर्माण की भी खबरें हैं, जिन्हें म्यांमार के सैन्य कर्मियों के उपयोग में लाने जाने की बात कही जा रही है।
म्यांमार की चीन पर बढ़ रही निर्भरता
चीन के साथ म्यांमार की नजदीकी भारत के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। दरअसल, म्यांमार इन दिनों विद्रोह का दंश झेल रहा है। इस विद्रोह को दबाने के लिए वह चीन की मदद से रहा है और धीरे-धीरे उस पर निर्भर होता जा रहा है। रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे म्यांमार को चीन से मदद मिल रही है और इसके बदले वह म्यांमार को भारत के खिलाफ जासूसी के लिए तैयार कर रहा है।
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