Assam: चुनाव आयोग ने असम के लिए परिसीमन मसौदा दस्तावेज जारी कर दिया है। इसमें पूर्वोत्तर राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या 126 और लोकसभा सीट की संख्या 14 पर बरकरार रखने का प्रस्ताव भी दिया है। अब इसे लेकर विपक्ष हमलावर हो गया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग बीजेपी और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के इशारों पर काम कर रहा है। कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि सत्ता के प्रभाव में आकर चुनाव आयोग ने मसौदा तैयार किया है। विपक्ष के आरोपों के बाद इस मामले को लेकर राजनीति तेज हो गई है।
चुनाव आयोग पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने परिसीमन प्रस्ताव को लेकर बीजेपी पर करारा हमला करते हुए चुनाव आयोग के फैसले पर भी सवाल उठाए है। बोरा ने कहा, ”ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग बीजेपी की एजेंसी की तरह काम कर रहा है। बीजेपी के लिए चुनाव आयोग एक फ्रंट एजेंसी की तरह है। आपको ये पता होते हुए कि मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट ने 25 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की है, इसके बावजूद प्रस्ताव दे दिया गया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि ये लोग असम के लोगों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने असम के सीएम हिमंत बिस्वा के उस बयान पर भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कहा था कि असम के मूल लोग सुरक्षित हैं।
CM हिमंत बिस्वा ने किया स्वागत
विपक्ष के तमाम आरोपों के बीच सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव का स्वागत किया। सीएम सरमा ने कहा, “नए मसौदे के हिसाब से मेरी सीट भी चली गई है, लेकिन मैंने कोई मुद्दा नहीं बनाया। इस परिसीमन में सीट बदलने या भंग होने से कुछ लोग इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। इससे असम के मूल लोगों की रक्षा होगी। इसमें ऊपरी असम से लेकर निचले असम तक सभी क्षेत्र कवर हो गए हैं। परिसीमन में आदिवासी और गैर-आदिवासियों को भी सुरक्षा दी गई है।”
क्या है चुनाव आयोग का मसौदा
बता दे कि चुनाव आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों को आठ से बढ़ाकर नौ और अनुसूचित जनजाति की सीट को 16 से बढ़ाकर 19 किया जाए। निर्वाचन आयोग के परिसीमन मसौदे में अनुसूचित जनजाति के लिए विधानसभा की 19 और दो संसदीय सीट और अनुसूचित जाति के लिए विधानसभा की नौ और एक संसदीय सीट आरक्षित करने का प्रस्ताव है। चुनाव निकाय ने प्रस्ताव दिया कि वेस्ट कार्बी आंगलोंग के स्वायत्त जिलों में विधानसभा सीट की संख्या एक और बोडोलैंड स्वायत्त परिषद क्षेत्रों में तीन (16 से 19) तक बढ़ाई जाए।
चुनाव आयोग ने अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दीफू और कोकराझार संसदीय सीट को बरकरार रखा है और लखीमपुर संसदीय सीट को अनारक्षित रखा है। प्रस्तावों के अनुसार, धेमाजी जिले में एक अनारक्षित विधानसभा सीट होगी। बराक घाटी जिलों- कछार, हैलाकांडी और करीमगंज के लिए दो संसदीय सीट प्रस्तावित की गई हैं। आयोग ने एक संसदीय सीट का नाम काजीरंगा रखने का प्रस्ताव दिया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे और अरुण गोयल जुलाई में मसौदा प्रस्ताव पर जन सुनवाई के लिए असम का दौरा करेंगे। परिसीमन कवायद 2001 की जनगणना के आधार पर की गई। पिछला परिसीमन 1976 में असम में किया गया था।
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