Kisan Andolan: आखिर सरकार की क्या है मजबूरी, लागू नहीं कर रही MSP ?

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Kisan Andolan: आज देश में हालत है उसपर अदम गोंडवी साहब का शेर याद आता हैं कि मत मारो गोलियों से मुझे ,मैं पहले से एक दुखी इंसान हूं, मेरी मौत कि वजह यही है कि मैं पेशे से एक किसान हूं। ये कौन सी न्याय है और कैसा लोकतंत्र है, जहां किसान अपनी मांगो लेकर सड़कों पर संघर्ष कर रहा हैं, संघर्ष कर रहे किसानों के उपर पुलिस आशू भरे गैस के गोले दाग रही, गोलियां चला रही हैं। यहां तक कि किसान दिल्ली न पहुंच पाए उसके लिए 22 लेयर का बेरिकेडिंग किया गया है। रास्तों पर कीले गाड़ी गई हैं और हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात है।

एक तरफ जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएई  के दौरे पर हैं वहां उनके स्वागत फूल मालाओं बिछाई जा रहीं है, चारों तरफ से मीडिया कवरेज करके पीएम का गुड़गान कर रहीं हैं। देश की मीडिया, मोदी के इस दौरे को देश के लिए फायदेमंद बता रही है। वहीं दूसरी तरफ देश का अन्यदाता सड़कों पर संघर्ष कर रहा है। देश की राजधानी दिल्ली उन हजारों किसानों का स्वागत कील, पत्थर और गोलियों से कर रही है। ये कैसा लोकतंत्र है कि एक छोटे से MSP  की मांग पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप्पी साधे हुए हैं, विडंबना ये भी नहीं है कि देश के प्रधानमंत्री MSP को लेकर चुपी साधे हैं।

किसानों को दिक्क्त तो यहाँ हो रही हैं  कि आज लोकतंत्र की चौथी स्तम्ब  मीडिया और  बुद्धिजीवी किसानों को ही गलत साबित करने पर तुले हुए हैं। 2020 में किसानों की उठी वो आवाज आज एक बार फिर से उठ खड़ी हुई है। किसान जहां एक तरफ अपने घर से ट्रैक्टर ट्राली पर राशन लादकर देश की राजधानी दिल्ली रुख कर रहे हैं, वही दिल्ली पुलिस राजधानी  दिल्ली को किले के रूप में तब्दील कर दिया है। जिसे देखकर अब ये लग रहा हैं कि देश के बाहरी दुश्मन देश की सीमाओं में घुसने का प्रयास कर रहे हो और देश की सेना दुश्मनों को रोकने की हर संभव कोशिश कर रही हो, कुछ बड़े किसान नेताओं का कहना है कि हम किसी भी तरीके का सरकार से विवाद नहीं चाहते हैं। बस हमारी मांग यह है कि MSP परमानेंट कानून बनाया जाए। जिससे हमारे घर में भी खुशिया आये आ पाये, लेकिन सरकार फ़िलहाल किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का नारा था जय जवान जय किसान लेकिन देश की सरकार ने आज किसान और जवान को एक दूसरे को आमने-सामने ला दिया है। जहां एक तरफ किसान अपनी मांगो को लेकर दिल्ली कूच करना चाह रहा है तो वहीं दूसरी तरफ जवान अपनी फर्ज को निभाते हुए, किसी भी हालत में किसानों को दिल्ली कूच नहीं करने दे रही हैं, फ़िलहाल देश में हालत गंभीर हैं, सरकारी मौन है और आने वाला चुनाव है।

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