दादा स्वतंत्रता सेनानी, नाना ब्रिगेडियर, चाचा उपराष्ट्रपति लेकिन फिर क्यों Mukhtar Ansari बना डॉन? जानिए ऐसी क्या थी मजबूरी

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गुरुवार को गाजीपुर की एमपी-एमएलए गैंगेस्टर कोर्ट ने मऊ के पूर्व विधायक और बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी को अवधेश राय हत्याकांड में 10 साल की सजा सुनाई है और 5 लाख का जुर्माना लगाया है। पुलिस के लिए मुख्तार अंसारी भले ही हत्यारा और अपराधी हो लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता के लिए मुख्तार अंसारी किसी रॉबिनहुड से कम नहीं है। सियासत में भी मुख्तार अंसारी कई नेताओं को चुनौती देते रहे हैं।

मुख्तार अंसारी अपने आसपास प्राइवेट सुरक्षाकर्मियों को रखते थे।

पिछले 15 सालों से मुख्तार भले ही जेल की हवा खा रहे हैं लेकिन मुख्तार के परिवार का अपराध से कभी कोई नाता नहीं रहा। उनके परिवार का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। आइए जानते हैं मुख्तार के परिवार के बारे में….

गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी आजादी से पहले 1926-1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके नाम पर दिल्ली में रोड भी है और वह गांधीजी के काफी करीबी माने जाते थे। महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान, मुख्तार अंसारी के नाना थे। आजादी के बाद पाकिस्तान जाने का प्रस्ताव आया तो कह दिया, “लड़ा है इस देश के लिए मरेंगे भी इस देश के लिए।”

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा लगते हैं। मुख्तार अंसारी के पिता शुभानुल्लाह अंसारी एक कम्युनिस्ट नेता थे। मुख्तार अंसारी के पिता इतने सादगी पसंद और सम्मानित व्यक्ति थे कि नगर पालिका के चुनाव में उतरे तो बाकी लोगों ने पर्चा वापस ले लिया। इतने समृद्ध परिवार से होने के बावजूद मुख्तार ने परिवार के नक्शेकदम पर चलने के बजाय अपराध की दुनिया को चुना।

मुख्तार अंसारी का बचपन भी बेहद अच्छे माहौल में बीता। उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई युसुफपुर गांव में पुरी की। उसके बाद उन्होंने गाजीपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की। स्कूल और कॉलेज के दौरान वो अक्सर खेलों में हिस्सा लेते रहे। कहते हैं मुख्तार अंसारी को क्रिकेट और फुटबाल में खासी दिलचस्पी है। 1989 में अफशा अंसारी से मुख्तार की शादी हुई। दोनों के दो बेटे हैं। मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे राजनीति में ही जबकी छोटे बेटे अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग के इंटरनेशनल प्लेयर हैं और कई बार उन्होंने पदक हासिल कर देश का नाम रौशन किया है।

मुख्तार के बाएं तरफ अब्बास अंसारी हैं। परिवार की राजनीतिक विरासत को अब वही संभाल रहे हैं।

यूपी की जनता के बीच मुख्तार अंसारी इसलिए भी पसंद किए जाते हैं कि क्योंकि वह गरीब तबके के लोगों की मदद करते हैं। लोगों का कहना है कि शादी ब्याह में पैसा देना हो या किसी का मकान बनाना हो, मुख्तार अंसारी मदद करते हैं। बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ने प्रचार के दौरान मुख्तार अंसारी पर हमला बोलते हुए कहा था कि वे जेल में रहकर भी अपने लोगों से बाहर कई कांड करवाते रहते हैं। मुख्तार अंसारी पर लगभग 40 मुकदमे हैं और वे 13 सालों से जेल में हैं। मुख्तार अंसारी का पूर्वांचल की सियासत में दबदबा इस कदर है कि वे मऊ सीट पर लगातार 5 सालों से विधायक रहे हैं। बता दे कि बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार अंसारी जेल में बंद हैं।

Jailed gangster-MLA Mukhtar Ansari gets AIMIM offer for UP polls after BSP  shuns him

मुख्तार मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक से एक संगीन मामले दर्ज हैं। आलम यह है कि मुख्तार अंसारी जेल में बंद होकर भी चुनाव जीत जाते हैं। अंसारी के आपराधिक रिकॉर्ड की बात की जाए तो 1988 में उन पर पहला आरोप लगा हत्या का लगा था। 1988 में मंडी परिषद के ठेकेदार सच्चिदानंद की हत्या।

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इसके बाद माफिया डॉन बृजेश सिंह से रंजिश के चलते मुख्तार अंसारी का नाम चर्चा में आया। 1996 में मुख्तार अंसारी ने पुलिस कर्मी पर जानलेवा हमला किया। 1997 में अपहरण की बड़ी वारदात को अंजाम दिया। 2005 में हिंसा भड़काने जैसे आरोप लगे। 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने अंसारी पर मकोका लगाया।

Mukhtar Ansari के परिजनों की तलाश में तीन जनपदों की पुलिस, कई स्थानों पर की  जा चुकी है छापेमारी - Police of three districts in search of Mukhtar Ansari  family raids have

मुख्तार अंसारी पिछले करीब 15 साल से देश की अलग-अलग जेलों में बंद है। मऊ, गाजीपुर, जौनपुर और बनारस में मुख्तार गैंग इतना ज्यादा फैल गया कि दूसरा कोई ऊपर उठ ही नहीं पाया। राजनीतिक पार्टियां जब भी पूर्वांचल में अपना ग्राफ बढ़ाने के लिए बढ़ी उन्होंने मुख्तार के ही कंधे को चुना। वो सपा हो या बसपा।

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