केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने शुक्रवार को कहा कि अपनी जनता को ऊर्जा उपलब्ध कराना भारत सरकार का नैतिक कर्तव्य है और उसे जहां से तेल मिलेगा वह खरीदना जारी रखेगी। पुरी ने इसपर भी जोर दिया कि किसी ने भारत को रूस से तेल खरीदने से मना नहीं किया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का दुनिया के ऊर्जा मंत्र पर दूरगामी प्रभाव हो रहा है और मांग तथा आपूर्ति में असंतुलन के कारण पुराने व्यापारिक संबंध भी खराब हो रहे हैं। इसके कारण दुनिया में तमाम उपभोक्तओं और व्यापार एवं उद्योग के लिए ऊर्जा की कीमत बढ़ गई है, आम जनता के साथ-साथ उद्योगों की जेबों और देशों की अर्थव्यवस्था पर पर भी इसका कुप्रभाव साफ-साफ दिखने लगा है।
आपको बता दें कि पुरी (Hardeep Singh Puri) गुरुवार को वॉशिंगटन डीसी में थे। उन्होंने अपने अमेरिकी समकक्ष जेनिफर ग्रानहोम और बाइडेन प्रशासन के अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं। पुरी ने कहा कि क्या मुझे किसी ने रूसी तेल खरीदने से रोकने के लिए कहा है? इसका जवाब स्पष्ट नहीं है। भारत ने मॉस्को और उसके पश्चिमी आलोचकों के बीच एक मध्य मार्ग बनाने की मांग की है और क्रेमलिन के साथ अपने आर्थिक संबंधों के लिए पश्चिमी दबाव का बड़े पैमाने पर विरोध किया है।
गौरतलब है कि भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल का आयात अप्रैल से अभी तक 50गुना से ज्यादा बढ़ गया है। भारत फिलहाल कुल कच्चा तेल आयात का 10 फीसदी हिस्सा रूस से मंगवा रहा है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से महज 0.2 फीसदी आयात करता था।
पुरी ने यहां भारतीय पत्रकारों से प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘भारत को जहां से तेल मिलेगा, वह खरीदेगा क्योंकि इस तरह की चर्चा भारत की उपयोक्ता आबादी से नहीं की जा सकती है।”
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