बोरवेल से 10 साल के Rahul Sahu के निकलने की पूरी कहानी

Spread the love

Rahul Sahu की मां गीता साहू अब भी ठीक से बात नहीं कर पा रही हैं. उन्हें उम्मीद थी कि उनका बेटा मौत के मुंह से निकल कर ज़रूर बाहर आएगा लेकिन उम्मीद की डोर कई बार टूट जाती थी.

Rahul Sahu की दादी भरे हुए गले से टुकड़े-टुकड़े में कहती हैं, “मुझे उम्मीद थी लेकिन मन में ये भी था कि पांच दिन हो गए, छोटी-सी जान, आखिर उस अंधे बोरवेल में इतने दिन कैसे रह पाएगा. मन अनिष्ट की आशंका से कांप उठता था. लेकिन राहुल जीत गया.”

छत्तीसगढ़

गांव के अधिकांश लोग इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मान रहे हैं. लेकिन हर व्यक्ति यह ज़रूर कहता है कि 10 साल के राहुल साहू ने अपने हौसले से मौत को मात दी है. राहुल साहू न तो बोल सकते हैं और न ही सुन सकते हैं.

लगभग 104 घंटे तक गांव के 80 फ़ीट गहरे बोरवेल में फंसे राहुल को मंगलवार की देर रात सकुशल निकाल लिया गया और ज़िला प्रशासन ने ग्रीन कॉरिडोर बना कर उन्हें पड़ोसी शहर बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया है.

छत्तीसगढ़

डॉक्टरों का कहना है कि लगातार पानी में रहने के कारण राहुल को कई तरह के इंफेक्शन की आशंका है. राहुल को हल्का बुख़ार है. लेकिन फिलहाल वो ख़तरे से बाहर हैं. अभी उन्हें कुछ दिन अस्पताल में ही गुजारने होंगे.

मुश्किल संवाद

जांजगीर-चांपा ज़िले के पिहरीद गांव के रहने वाले 10 साल के राहुल साहू शुक्रवार की दोपहर को जब अपने घर से खेलते-खेलते कहीं चले गए तो उनकी तलाश शुरू हुई. परिजनों का कहना है कि मानसिक रूप से कमज़ोर होने के कारण राहुल को स्कूल नहीं भेजा जाता था और वह घर पर ही रहते थे.

लेकिन आस पड़ोस में तलाशने के बाद भी राहुल का कहीं पता नहीं चला तो खेतों में राहुल की तलाश शुरू हुई.

घर के पास ही खेत में खोदे गए 80 फ़ीट गहरे बोरवेल से किसी बच्चे के रोने की आवाज़ आई तो घर वालों को समझते देर नहीं लगी कि यह राहुल ही है.

छत्तीसगढ़

किसी को कुछ समझ नहीं आया कि क्या किया जाए.

Rahul Sahu न सुन सकते थे और न ही बोल सकते थे. इसलिए संवाद की कोई गुंजाइश ही नहीं थी. उनके पिता लाला साहू कहते हैं, “बच्चा सामने हो, देख रहा हो तो इशारों में सारी बातें हो जाती हैं लेकिन गहरे अंधेरे बोरवेल में तो हमें केवल उसके रोने और सिसकियों की आवाज़ ही सुनाई पड़ रही थी.”

बेबस परिजनों ने किसी तरह उन्हें निकालने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली. बोरवेल की मिट्टी के धसकने की भी आशंका बनी हुई थी.

आनन-फानन में पुलिस को फ़ोन पर सूचना दी गई और शाम से पहले 112 की टीम मौके पर पहुंच गई. माजरा समझ में आया तो सबसे पहले ऑक्सीजन का इंतजाम किया गया और राहुल तक किसी तरह ऑक्सीजन पहुंचाया गया. आनन-फानन में ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी गई और अंधेरा होते-होते बात राजधानी तक पहुंची.

 390 total views,  1 views today

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

Presidential Election : बीजेपी के लिए अपना राष्ट्रपति बनाना क्या आसान है?

Thu Jun 16 , 2022
Spread the love भारत में presidential election की ख़ास बातें 29 जून तक नामांकन, 18 जुलाई को मतदान और 21 जुलाई को नतीजा आएगा राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल वोट वेटेज 10,80,131 है. जिस उम्मीदवार को 5,40,065 से ज्यादा वेटेज मिलेगा, वही जीतेगा 767 सांसद (540 लोकसभा, 227 राज्यसभा) और […]

You May Like