मीठे तरबूज की पहचान कैसे करें? ऐसे जानें तरबूज केमिकल से पका है या नहीं

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नई दिल्ली : बदलते समय के साथ ही न केवल हमारे जीवनशैली में बदलाव आया है बल्कि आस-पास की सभी चीजों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। सब्जियों से लेकर अनाज और फलों तक हर चीज में मिलावट देखने को मिल रही है। तरबूज भी इस मिलावट से अछूता नहीं है।

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गर्मी के मौसम में तरबूज सबसे ज्यादा खाए जाने वाले फलों में से एक हैं। लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि बेहद रसीले और लाल तरबूज दिखने वाले तरबूज असल में प्राकृतिक रूप से पके हैं या फिर यह किसी केमिकल का कमाल है। तरबूज में इस्तेमाल होने वाले सबसे जहरीले डाई में से एक है एरिथ्रोसिन।

यह एक गुलाबी रंग का डाई है, जिसका इस्तेमाल ज्यादातर खाने में रंग लाने के लिए किया जाता है। FSSAI या भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने लोगों को इस खतरनाक मिलावट के प्रति जागरुक करने के लिए एक वीडियो जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि आप तरबूज में मिलावट का पता कैसे लगा सकते हैं। वीडियो में बताया गया है कि तरबूज को दो हिस्सों में काटें और गूदे पर कॉटन बॉल की मदद से डाई की जांच करें।

अगर कॉटन बॉल का रंग बदलता है, तो इसका मतलब है कि फल में केमिकल डाई की मिलावट की गई है। अगर ऐसा नहीं होता है कि इसका मतलब है कि तरबूज प्राकृतिक रूप से पके हुए हैं। तरबूज को लाल करने के लिए धड़ल्ले से इस्तेमाल किए जाने वाले एरिथ्रोसिन का शरीर पर काफी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

एक अध्ययन में पाया गया कि इस डाई का लंबे समय तक उपयोग बचपन के व्यवहार, थायरॉइड फ़ंक्शन समेत अन्य गंभीर जटिलताओं के जन्म दे सकता है। वहीं रंग के अलावा इसके स्वाद को भी आर्टिफिशियल तरीके से बढ़ाया जाता है, जिसके लिए कार्बाइड नाम के केमिकल को मिलाया जाता है। फलों में कार्बाइड का उपयोग आमतौर पर उत्पादकों द्वारा किया जाता है, जो इसे किसानों से कच्चा ही खरीद लेते हैं और मुनाफा कमाने के लिए उन्हें जबरदस्ती पकाते हैं। तरबूज खरीदते वक्त अगर आपको इसपर कोई सफेद पाउडर जैसा नजर आए, तो समझ जाइयेगा कि यह कार्बाइड है।

अगर आपको अगली बार फलों पर कार्बाइड नजर आए, जैसा कि आम और केले में भी प्रयोग किया जाता है, तो इसे काटने से पहले अच्छी तरह से साफ कर लें। कार्बाइड नेचर में अत्यंत जहरीला होता है और इसकी अधिक मात्रा मनुष्य के लिए काफी हानिकारक हो सकती है। इससे सिरदर्द, त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं। साथ ही फेफड़ों को भी नुकसान हो सकता है। यह शरीर के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है और बेहोशी, दौरे का कारण बनता है, कई बार इसके दुष्परिणाम लोगों को कोमा में भी धकेल सकते हैं। इसलिए ऐसे फलों के सेवन से आपको बचना चाहिए।

एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसे फलों और सब्जियां न खरीदें, जो मौसम में उपलब्ध नहीं होते। क्योंकि इस दौरान उत्पाद से अधिक मांग होती हैं, जिसकी आपूर्ति के लिए विक्रेता जबरदस्ती केमिकल्स का इस्तेमाल करके इन्हें उगाते और पकाते हैं। वहीं मौसमी फल और सब्जियों को खरीदते समय भी उन्हें काटने से पहले हमेशा अच्छी तरह धो लें। इसके अलावा इन्हें खरीदने से पहले भी भोजन की ताजगी की जांच करें।

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