Hajj Pilgrims Death: हज यात्रा के दौरान जब हो जाती है मौत तो वापस नहीं जाता शव, क्या है सऊदी का ये नियम?

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Hajj Pilgrims Death: सऊदी अरब के मक्का में हज करने के हर साल लाखों की संख्या में मुसलमान पहुंचते है। हर एक मुसलमान का सपना होता की वो हज यात्रा पर जाए। गरीब से गरीब मुसलमान पाई-पाई जोड़कर एक बार हज करने की कोशिश करता है। हालांकि, वहां पहुंचना इतना आसान भी नहीं है।

इसका कारण पूरी दुनिया के मुसलमान हज करने के लिए मक्का पहुंचते हैं। इसलिए सऊदी अरब सभी देशों से आने वाले हज यात्रियों की एक निश्चित संख्या निर्धारित करता है और उसी के हिसाब से हर देश के मुसलमान वहां जा पाते हैं। इस बार मक्का पहुंचने के बाद गर्मी और भीड़ का सामना बहुत करना पड़ा। जिसके कारण कई लोगों की मौत मक्का में हो गई।

भारत और पाकिस्तान वालों के रीति-रिवाज

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल मक्का गए अब तक 98 भारतीयों की मौत हो चुकी है। सऊदी अरब सरकार के साथ रीति-रिवाजों और नियम-कानूनों का हवाला देते हुए कर्नाटक राज्य हज समिति के कार्यकारी अधिकारी एस सरफराज खान ने बताया कि हज के दौरान मरने वाले लोगों के शवों को उनके मूल स्थान पर वापस नहीं लाया जाता है। उनके शवों को संबंधित अधिकारियों द्वारा वहीं दफना दिया जाता है और मृत्यु प्रमाण पत्र भी उनके परिजनों को सौंप दिए जाते हैं।

इसी क्रम में पाकिस्तान हज मिशन के महानिदेशक अब्दुल वहाब सूमरो ने 19 जून को बताया कि 18 जून तक कुल 35 पाकिस्तानी हज यात्रियों की मौत हुई है। मिली जानकारी के अनुसार, मक्का में 20, मदीना में छह, मीना में चार, अराफात में तीन और मुजदलिफा में दो लोगों की मौत हुई है।

भगदड़ रूकी पर गर्मी जानलेवा

बता दे कि सऊदी अरब ने आधिकारिक तौर पर मौतों की जानकारी नहीं दी है, हालांकि 1000 से अधिक लोगों की मौत की खबर आ रही है। यह सभी मौत गर्मी की वजह से हुई हैं। मक्का के बाहरी इलाके में स्थित मीना घाटी में रमी अल-जमारात (शैतान को पत्थर मारने) की रस्म के दौरान भी बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। पत्थर मारने की रस्म के बीच अक्सर इस स्थान पर भगदड़ मच जाती है। जिसको लेकर सऊदी अरब ने इसको लेकर इन दिनों इंतजाम किए हैं, जिससे हादसों पर लगाम लगी है, लेकिन गर्मी अब भी जानलेवा साबित हो रही है।

मक्का में रहने वालों की कैसी है जिंदगी?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2018 में सऊदी सरकार ने सिनेमाघरों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध हटा दिया लेकिन इसके बावजूद मक्का में कोई सिनेमाघर नहीं है। सिनेमा के लिए, निवासी लगभग 70 किलोमीटर (35 मील) दूर तटीय शहर जेद्दाह जाते हैं। मैरेज हॉल पवित्र क्षेत्रों से दूर रखे जाते हैं। वहां के निवासी बताते हैं कि यह एक पवित्र शहर है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए। जन्मदिन और अन्य समारोहों में संगीत बजता है, लेकिन यह बहुत तेज नहीं होना चाहिएय़ साल में एक बार, शहर की आबादी एक महीने तक के लिए प्रभावी रूप से दोगुनी हो जाती है क्योंकि दुनिया भर से हज यात्री आते हैं, मगर हम इसे अपनी खुशनसीबी समझते हैं।

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