पत्रकार Siddique Kappan को 23 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, हाथरस जाते समय यूपी पुलिस ने किया था गिरफ्तार

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पत्रकार सिद्दीक कप्पन (Siddique Kappan) को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. केरल के रहने वाले पत्रकार सिद्दीक कप्पन को 700 से ज्यादा दिनों तक जेल में रहने के बाद आखिरकार चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने बेल दे दिया है।

Very concerned by ongoing detention of Siddique Kappan': UN special  rapporteur

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन (Siddique Kappan) को जमानत दे दी है। कप्पन उत्तर प्रदेश के हाथरस षडयंत्र मामले में 6 अक्टूबर 2020 से पुलिस की हिरासत में था। फिलहाल अदालत ने कप्पन को अगले 6 सप्ताह तक दिल्ली में ही रहने के लिए कहा है। इसके बाद उसे केरल जाने की इजाजत दी है।

इस दौरान कप्पन हर सप्ताह स्थानीय पुलिस स्टेशन और अन्य शर्तों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएगा। चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ कप्पन की दायर की गई अपील को स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत दी।

Siddique Kappan पर दंगा भड़काने की कोशिश का है आरोप-

साल 2020 में हाथरस में एक दलित नाबालिग लड़की की सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या हो गई थी। इस घटना के बाद कथित तौर पर दंगा भड़काने की कोशिश करने के लिए कप्पन को यूएपीए की धारा 17/18, धारा 153 ए / 295 ए आईपीसी, 65/72 आईटी अधिनियम के तहत कथित अपराधों के लिए हिरासत में रखा गया था।

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शुरुआत में चीफ जस्टिस ललित की पीठ ने पूछताछ में पूछा कि कप्पन (Siddique Kappan) के खिलाफ क्या पाया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कप्पन के खिलाफ मिले सबूतों को दिखाते हुए कहा, “कप्पन सितंबर 2020 में पीएफआई की बैठक में शामिल हुए थे। इस बैठक में कहा गया कि फंडिंग रुक गई थी। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वे देश के संवेदनशील क्षेत्रों में जाएंगे और दंगे भड़काएंगे। 5 अक्टूबर को कप्पन ने दंगा भड़काने के उद्देश्य से हाथरस जाने का फैसला किया था। दंगा भड़काने के लिए उसे 45 हजार रुपये भी दिए गए थे।

SC grants bail to journalist Siddique Kappan

हाथरस गैंगरेप के बाद कप्पन (Siddique Kappan) को यूपी पुलिस ने मथुरा से 5 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया था। उस समय कप्पन मथुरा से हाथरस जा रहा था। इस मामले को गंभीर बताते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कप्पन को जमानत देने से इनकार कर दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने कप्पन की जमानत याचिका का विरोध किया था। यूपी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए हलफनामे में बताया था कि कप्पन देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है वो पीएफआई जैसे चरमपंथी संगठन से उसके संबंध हैं। कप्पन आतंकी और धार्मिक हिंसा भड़काने की साजिश में शामिल था।

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