नई दिल्ली: आखिरकार कर्नाटक के अगले CM के तौर पर Siddaramaiah का नाम तय हो गया है। वहीं, DK Shivakumar को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा। बता दे कि पार्टी हाईकमान की सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के साथ कई दौर की बैठक हो चुकी है। इस बीच सूत्रों का कहना है कि चार दिनों की गहन बातचीत के बाद, कांग्रेस आज शाम बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री घोषित करेगी। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार शनिवार को शपथ लेंगे। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद बनाए गए। तीनों ऑब्जर्वर आज शाम विधायक दल की बैठक से पहले बेंगलुरु पहुचेंगे। हालांकि, पार्टी आलाकमान, सिद्धारमैया या डीके शिवकुमार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
सूत्रों ने कहा कि सिद्धारमैया को कांग्रेस विधायक दल के नेता के रूप में चुना जाएगा। कैबिनेट गठन की चर्चा भी लगभग पूरी हो गई है। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक के पार्टी के सामने खड़ी हुई समस्या का समाधान खोजने के लिए रात भर काम किया। पार्टी हाईकमान ने यह निर्णय लिया है कि सिर्फ राज्य में सिर्फ डीके शिवकुमार के रूप में एक ही मुख्यमंत्री होगा। कर्नाटक की समस्या के समाधान के लिए बुधवार को पहले केसी वेणुगोपाल के घर पर मीटिंग हुई। इसमें सुरजेवाला और सिद्धरमैया शामिल थे। इसके बाद ये लोग अलग से डीके शिवकुमार से भी मिले। फिर डीके शिवकुमार, खरगे से मिले और फिर अंतिम फैसला हुआ। बैठक में ये तय हुआ कि डीके शिवकुमार और उनकी टीम को मन पसंद मंत्रालय मिलेंगे।
हालांकि, डीके शिवकुमार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि क्या उन्होंने वो पद स्वीकार किया है, जो उन्हें देने की तैयारी हो रही है। शीर्ष पद पर सिद्धारमैया के लिए दूसरे कार्यकाल के विचार के साथ कांग्रेस शिवकुमार को राजी करने के लिए संघर्ष कर रही है। बताया जा रहा है कि खड़गे और राहुल गांधी ने बुधवार को दिल्ली में एक बैठक में डीके शिवकुमार को दो प्रस्ताव दिए थे।
सूत्रों ने बताया कि दो घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रही और शीर्ष पद के दावेदार ने दोनों विकल्पों को ठुकरा दिया। इसके बाद शाम को फिर एक बैठक हुई। सूत्रों ने कहा कि पहला विकल्प शिवकुमार को उनके वर्तमान पद के साथ-साथ राज्य की पार्टी इकाई का नेतृत्व करने के लिए उपमुख्यमंत्री का पद देना था। इसके साथ ही उन्हें उनकी पसंद के छह मंत्रालयों की भी पेशकश की गई थी। इस प्रस्ताव ने सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के लिए पार्टी के ‘एक व्यक्ति एक पद’ नियम का संकेत दिया। एक व्यक्ति एक पद का नियम राहुल गांधी द्वारा लागू किया गया था, जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पार्टी अध्यक्ष के लिए खड़े होने के लिए कहा गया था। वर्तमान में खड़गे इस पद पर काबिज है। डीके शिवकुमार के सामने विकल्प 2 भी था। इस विकल्प में शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सत्ता का बंटवारा करने का प्रस्ताव रखा गया।
सूत्रों ने कहा कि इसके तहत, सिद्धारमैया को दो साल के लिए शीर्ष पद मिलना था, और तीन साल के लिए शिवकुमार को सीएम की कुर्सी मिलनी थी। लेकिन सूत्रों ने कहा कि न तो शिवकुमार और न ही सिद्धारमैया दूसरे विकल्प के साथ जाने के लिए तैयार थे। शिवकुमार पिछले चार वर्षों में अपने काम का हवाला देते हुए शीर्ष पद की मांग कर रहे हैं। इसमें अपने विधायकों के एक समूह के चार साल पहले एचडी कुमारस्वामी के साथ गठबंधन सरकार को गिराने के बाद पार्टी का पुनर्निर्माण करना, और फिर इसे भारी जनादेश की ओर ले जाना शामिल है।
ऐसी अटकलें हैं कि सबसे खराब स्थिति में, कर्नाटक अगला राजस्थान बन सकता है, जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच अनबन ने सरकार को गिरने की कगार पर ला दिया था। मध्य प्रदेश में, ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 वफादारों के साथ चले जाने के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई थी। शिवकुमार ने हालांकि, बगावत से इनकार किया है। उन्होंने कहा, “पार्टी चाहे तो मुझे जिम्मेदारी दे सकती है। हमारा संयुक्त सदन है। मैं यहां किसी को बांटना नहीं चाहता। वे मुझे पसंद करें या नहीं, मैं एक जिम्मेदार व्यक्ति हूं। मैं पीठ में छुरा नहीं घोंपूंगा और न ही ब्लैकमेल करूंगा।”
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