Maharashtra News: फिल्मों में अक्सर देखा जाता है कि एक बच्चा अपने परिवार से बिछड़ जाता है। उसके शरीर पर कोई ऐसा निशान बना रहता है जो उसके परिवार की निशानी होती है और यही निशानी उसे उसके बिछड़े परिवार से मिलाने में मदद करती है। कुछ ऐसा मामला हकीकत में भी सामने आया है। फर्क बस इतना है कि निशानी के तौर पर उसके शरीर में कोई टैटू या कोई निशान नहीं बल्कि उसके गले का लॉकेट था जिसके अंदर क्यूआर कोड था।
आधुनिक तकनीक के चमत्कार का यह मामला महाराष्ट्र के कोलाबा पुलिस थाने क्षेत्र का है। जहां मुबई पुलिस ने क्यूआर कोड के जरिए मानसिक रूप से अस्वस्थ एक नाबालिग को उसके माता-पिता से मिला दिया। जिसके चलते अपने परिवार से बिछड़ा मासूम दोबारा से अपने घर पहुंच गया और अपने परिवार से मिल सका। क्यूआर कोड की मदद से गम में डूबे परिवार में एक बार फिर से खुशियां लौट आईं।
जानकारी के मुताबिक, 12 साल का बच्चा खेलने के दौरान बस में चढ़ गया था। जिसके बाद वह लापता हो गया। परिवार वालों ने काफी खोजबीन की लेकिन बच्चे का कुछ पता नहीं चला जिससे परिवार काफी निराश हो गया। पुलिस ने बताया कि बच्चे को बीते गुरुवार को शहर के दक्षिणी हिस्से कोलाबा में लावारिस हालत में भटकते हुए देखा गया। जिसकी जानकारी पुलिस को दी गई। लोगों ने पुलिस को बताया कि बच्चा कुछ भी बताने में असमर्थ था। ऐसे में लोगों को लगा कि शायद बच्चा रास्ता भटक गया है और किसी मुश्किल में है।
इसके बाद एक शख्स बच्चे को अपने साथ लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचा और पुलिस को पूरी बात बताई। पुलिस ने बच्चे की गुमशुदगी की सूचना सभी पुलिस थानों को भेजी और तहकीकात शुरू की लेकिन बच्चे के परिजनों का कुछ पता नहीं चला। इस बीच एक पुलिसकर्मी की नजर बच्चे के गले में पढ़े लॉकेट पर पड़ी। जिसके अंदर एक क्यूआर कोड भी था। बिना देर किए पुलिस ने क्यूआर कोड को स्कैन किया जिससे एक फोन नंबर का पता चला।
बताया जा रहा है कि फोन नंबर एक एनजीओ से जुड़ा था, जो मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए काम करता है। एनजीओ से संपर्क करने पर पता चला कि बच्चा वर्ली इलाके का रहने वाला है। एनजीओ के एक अधिकारी ने पुलिस को बताया कि बच्चे के माता-पिता उसकी तलाश कर रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने बच्चे के परिजनों से संपर्क किया और उन्हें थाने में बुलाया। जिसके बाद लापता बच्चे को उसके माता पिता को सौंप दिया गया।
यह भी पढ़ें:-Lok Sabha Elections 2024: कछुआ चुनाव आयोग का शुभंकर, जानें कछुओं के प्रति आस्था
68 total views, 1 views today