Mohan Bhagwat : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञापवापी मस्जिद को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष आमने-सामने हैं। इसकी आग अब दूसरे राज्यों तक भी पहुंच गई है। कर्नाटक की जामा मस्जिद को लेकर भी ऐसा ही दावा किया गया है तो कुतुबमीनार और ताजमहल को सर्वे की मांग भी उठ रही है। इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत का एक बयान चर्चा में आ गया है। उन्होंने कहा है कि हर मस्जिद में शिवलिंग को तलाशा जाना ठीक नहीं। उनके इस बयान का कई पार्टियों ने स्वागत किया है। इसमें कई विपक्षी दल भी शामिल हैं।
संघ प्रमुख ने बीते दिनों कहा था कि हम हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखें? उन्होंने आपसी समझौते से मसलों को सुलझाने पर जोर दिया। भागवत के इस बयान का मुस्लिम मौलवियों ने स्वागत किया है और कहा है कि यह बयान ऐसे समय में आया है, जब नफरत का माहौल तेजी से फैल रहा है।
हम इतिहास नहीं बदल सकते – मोहन भागवत
Mohan Bhagwat : दरअसल, गुरुवार को नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था, ‘हम हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखें? ज्ञानवापी मुद्दे पर हम इतिहास नहीं बदल सकते। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा। हमलावरों के जरिये इस्लाम बाहर से आया था। उन हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया।
यह भी पढ़ें : Azamgarh लोकसभा उपचुनाव के लिए सुशील आनंद हो सकते हैं सपा प्रत्याशी, जानें कौन हैं सुशील आनंद
मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए देवबंद के मौलवी मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि उन्होंने (भागवत ने) जो कहा है, वह सराहनीय है। उनका बयान ऐसे समय में आया है, जब नफरत का माहौल तेजी से फैल रहा है। बयान निश्चित रूप से सांप्रदायिक सद्भाव के निर्माण की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है। मौलवी मौलाना इशाक गोरा ने कहा कि हम उनकी सभी टिप्पणियों से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन हम इस पर सहमत हैं। लोगों को आरएसएस प्रमुख की बातों पर ध्यान देना चाहिए और एकता बनाने की कोशिश करनी चाहिए।
Mohan Bhagwat : गोरा मुस्लिम संगठन जमीयत दावत-उल मुस्लिमीन के संरक्षक भी हैं। लोगों से अनावश्यक विवादों से बचने का आग्रह करते हुए लखनऊ के विद्वान मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि आज के समाज को विवादित मामलों से दूर रखा जाना चाहिए। यह जितना अधिक किया जा सकता है, उतना अच्छा है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने हाल ही में शांति और सद्भाव के लिए अनुकूल माहौल बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया था। इस बीच, सुन्नी मुसलमानों के बरेलवी संप्रदाय के एक मौलवी तौकीर रज़ा खान ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने (भागवत) ने सकारात्मक बयान दिया है। उनके विचार सकारात्मक हैं लेकिन क्या उन्हें ग्राउंड जीरो पर लागू किया जाएगा?
375 total views, 1 views today