Mukhtar Ansari : मुख्तार अंसारी की मुश्किलें बढ़ गई है। अब दया के लिए हाथ जोड़कर मुख्तार अंसारी विनती कर रहा है फिर भी कोई सुनवाई नहीं। दरअसल, अपर सिविल जज एमपी-एमएलए कोर्ट के प्रभारी उज्ज्वल उपाध्याय की अदालत में मुख्तार अंसारी बांदा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए थे।
गुरुवार को लंच से पहले अदालत से दोषी करार दिए जाने से पहले ही मुख्तार का चेहरा उतरा हुआ और वह मायूस दिखे। दोषी करार दिए जाते ही उसका सिर झुक गया। फिर, वह सिर झुकाए ही खड़ा रहा। लंच के बाद सजा सुनाए जाने से पहले मुख्तार ने हाथ जोड़कर अदालत से कहा कि वह बुजुर्ग और बीमार है। लंबे समय से वह जेल में है। लिहाजा, उसे कम से कम सजा दी जाए।
हांलाकि इसके बाद अपने फैसले में कोर्ट ने सबसे अधिकतम सजा दस वर्ष की सुनाई। अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट अरविंद मिश्रा शुक्रवार की दोपहर 12 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग हाल में पहुंचे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आपराधिक वाद में अभियुक्त के दायित्व का निर्धारण युक्ति युक्त संदेह के परे किया जाता है। इस मामले में अभिलेख पर उपलब्ध साक्ष्य के द्वारा अभियोजन युक्ति युक्त संदेह से परे यह साबित करने में सफल रहा है कि अभियुक्त मुख्तार अंसारी ने पांच नवंबर 1997 की शाम लगभग पांच बजे महावीर प्रसाद रुंगटा को टेलीफोन से जान से मारने की धमकी दी थी। इस तरह से भारतीय दंड संहिता की धारा 503 में परिभाषित और धारा 506 के खंड दो के तहत दंडनीय अपराध अभियुक्त मुख्तार अंसारी द्वारा किया गया है। ऐसे में उसे पांच वर्ष छह माह की कैद और 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया जाता है।
15 मिनट तक न्यायाधीश ने दलील सुनी और उसके बाद यह कहकर अपने चैंबर में चले गए कि तीन बजे फैसला सुनाया जाएगा। अपर सत्र न्यायाधीश तीन बजे दोबारा वीडियो कांफ्रेंसिंग हाल में पहुंचे और अपना जजमेंट सुनाते हुए करीब 3:35 बजे मुख्तार अंसारी को गैंगस्टर में अधिकतम दस वर्ष की सजा सुनाई।
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