इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को मथुरा के शाही ईदगाह ट्रस्ट और UP सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका को वापस कर दिया है। कोर्ट ने मथुरा के जिला जज को पूरे मामले की नए सिरे से सुनवाई के आदेश दिए हैं। जस्टिस प्रकाश पडिया की अदालत ने फैसला सुनाया। मथुरा स्थित शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण विराजमान के बीच भूमि विवाद को लेकर दाखिल याचिका को खारिज करने के मामले पर सुनवाई हुई।
कोर्ट ने शाही ईदगाह ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और भगवान श्रीकृष्ण विराजमान मामले पर बहस पूरी होने के बाद फैसला 17 अप्रैल को सुरक्षित कर लिया था। इसके बाद फैसला 24 अप्रैल को आना था, लेकिन उस दिन भी अगली डेट 1 मई लग गई।
इस मामले पर आया फैसला
मथुरा कोर्ट में श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से एक वाद दाखिल किया गया था। श्रीकृष्ण विराजमान पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने बताया कि मथुरा कोर्ट में उनके द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की 13.37 एकड़ भूमि मुक्त कराने की मांग की गई थी। इसी वाद के खिलाफ शाही ईदगाह पक्ष हाईकोर्ट गया था।
मथुरा कोर्ट की सुनवाई पर लगी रोक हटाई
इससे पहले, मुस्लिम पक्ष की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ही मथुरा कोर्ट में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगी थी। जिसे अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हटा दिया है। मथुरा कोर्ट में श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से दाखिल वाद पर नए सिरे से सुनवाई होगी।
अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने यह कहते हुए रोक हटाने की मांग की थी कि मूल वाद पर समन जारी किया गया है। यह कार्यवाही अंतरिम आदेश को लेकर है। दोनों पक्षों की तरफ से जवाबी दावे प्रति दावे दाखिल किए जा चुके हैं। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था।
13.37 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण विराजमान के नाम करने की मांग
भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से सिविल जज की अदालत में 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने और 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन को श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की गई थी। वादी की ओर से कहा गया था कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया निर्णय वादी पर लागू नहीं होगा, क्योंकि उसमें वह पक्षकार नहीं था।
30 सितंबर 2020 को हुआ था वाद खारिज
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्ति की सुनवाई करते हुए अदालत ने 30 सितंबर 2020 को सिविल वाद खारिज कर दिया। जिसके खिलाफ भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से अपील दाखिल की गई। विपक्षी ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की। जिला जज मथुरा की अदालत ने अर्जी मंजूर करते हुए अपील को पुनरीक्षण अर्जी में तब्दील कर दिया।
पुनरीक्षण अर्जी पर पांच प्रश्न तय किए गए। 19 मई 2022 को जिला जज की अदालत ने सिविल जज के वाद खारिज करने के आदेश 30 सितंबर 2020 को रद्द कर दिया। अधीनस्थ अदालत को दोनों पक्षों को सुनकर नियमानुसार आदेश पारित करने का निर्देश दिया है, जिसकी वैधता को इन याचिकाओं में चुनौती दी गई है।
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