रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 6 मार्च को भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर एक शीर्ष नौसेना बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे। इस कदम से रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में देश के कदमों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
चीन के लिए चिंता का सबब
भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, पश्चिमी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और अन्य शीर्ष अधिकारी नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए गोवा में विमान वाहक पोत में सवार होंगे। पांच दिवसीय सम्मेलन का सिर्फ पहला दिन समुद्र में होगा। सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं में संचालन, युद्ध की तैयारी, रसद, प्रशिक्षण, मानव संसाधन विकास, संयुक्तता और स्वदेशीकरण से संबंधित मुद्दों को शामिल किया जाएगा। हिंद महासागर क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाने में जुटे चीन के लिए यह बैठक चिंता का सबब बन सकती है।
युद्धपोतों पर ऐसे शीर्ष सम्मेलन बिरले ही होते हैं। दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि तट से दूर भारत के अन्य विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। नेवल कमांडरों के कान्फ्रेंस को विमान वाहक आईएनएस विक्रांत पर इसके कमीशन होने के छह महीने बाद आयोजित किया जा रहा है।
INS विक्रांत पर उड़ान परीक्षण किए जा रहे हैं
वर्तमान में आईएनएस विक्रांत पर उड़ान परीक्षण किए जा रहे हैं। फरवरी में स्थानीय रूप से बनाए गए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) और रूसी-मूल मिग-29k के नौसेना संस्करण का एक प्रोटोटाइप पहली बार वाहक से उतारा गया और पहली बार आईएनएस विक्रांत से उड़ान भरी। फ्रेंच राफेल एम फाइटर ने पिछले दिसंबर में आईएनएस विक्रांत के लिए एक सीधी प्रतियोगिता में अमेरिकी एफ/ ए-18 सुपर हॉर्नेट को रेस से बाहर कर दिया। राफेल का निर्माण दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) द्वारा किया जाता है, जबकि सुपर हॉर्नेट एक अमेरिकी विमान है।
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