Banking rules : आये दिन बैंकिग नियमों में कुछ ना कुछ बदलाव देखने को मिलता है। वही आने वाले अक्टूबर महीने में क्रेडिट कार्ड एवं डेबिट कार्ड होल्डर्स के लिए कुछ विशेष नियमों में बदलाव किया गया है। कार्ड जारीकर्ता को कार्ड होल्डर्स से वन टाइम पासवर्ड के आधार पर सहमति लेनी होगी।
कार्ड जारी करने के 30 दिन से अधिक समय तक अगर कार्ड होल्डर्स की तरफ से कोई जवाब नहीं आता है तो कार्ड जारीकर्ता को ग्राहक से पूछकर 7 दिन के अंदर क्रेडिट कार्ड बंद करना होगा। कार्ड जारी कर्ता बिना कार्ड होल्डर्स से पूछे कार्ड लिमिट की सीमा को तोड़ा नहीं जा सकेगा।
यानी लिमिट में बदलाव करने को लेकर 1 अक्टूबर से ग्राहकों को कार्ड जारी कर्ता की तरफ से जानकारी देनी होगी। और कस्टमर से लिखित परमिशन लेनी होगी। रिजर्व बैंक के सर्कुलर के अनुसार अनपेड चार्ज/लेवी/करों को कंपाउंडिंग ब्याज के लिहाज से कैपिटलाइज नहीं किया जा सकेगा। सरल शब्दों में कहा जाए तो क्रेडिट कार्ड के ब्याज के जाल में ग्राहक ना फंसे इसलिए कंपनियां 1 अक्टूबर से कंपाउंडिंग ब्याज बिलों पर नहीं लगा पाएंगी।
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