Bihar Reservation News: बिहार की नीतीश सरकार को आज गुरावार को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा आरक्षण की सीमा बढ़ने जाने के फ़ैसले को रद्द कर दिया है। सरकार ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी, ओबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों की आरक्षण सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था, जिसे कोर्ट ने अब रद्द कर दिया है।
क्या था कानून?
दरअसल, याचिका में राज्य सरकार द्वारा 21 नवंबर, 2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई थी, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी व अन्य पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जबकि सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही पदों पर सरकारी सेवा में दिया जा सकता है जिसमें ईडब्लूएस के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण भी शामिल है।
वहीं, पिछली सुनवाई में कोर्ट में दलील देते हुए कहा गया था कि सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसद आरक्षण रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15(6)(b) के खिलाफ है। जातिगत सर्वेक्षण के बाद जातियों के अनुपातिक आधार पर आरक्षण का ये निर्णय लिया गया है, न कि सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर ये निर्णय लिया गया है।
बता दे कि पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के द्वारा शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में 65 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने वाले याचिकाओं को स्वीकार करते हुए लाये गए कानून को रद्द कर दिया। जिसके कारण बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है।
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