Shri Krishna Janmabhoomi Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर बड़ा फैसला, शाही ईदगाह के सर्वे को मिली इजाजत

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Shri Krishna Janmabhoomi Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार किया है। बता दे कि हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के कोर्ट कमिश्नर सर्वे की मंजूरी दे दी है। सर्वे के साथ ही ईदगाह कमेटी और वक्फ बोर्ड की दलीलों को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस मामले में अब सर्वे कमिश्नर की नियुक्ति होगी। ईदगाह कमेटी की दलीलें खारिज कर दी गई हैं।

Krishna Janmabhoomi case: Allahabad HC grants four-month to Mathura court  for redressal of all cases | India News – India TV

शाही ईदगाह के सर्वे की इजाजत मिली

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्वे की इजाजत दे दी गई है। इस दौरान वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कोर्ट की तरफ से सर्वे की इजाजत दे दी गई है। जानने के लिए मैंने सर्वे के लिए याचिका डाली थी। 18 दिसंबर को एडवोकेट कमीशन तय किया जाएगा। 18 दिसंबर को तय होगा कि सर्वे करने कौन-कौन जाएगा और कितने लोग सर्वे की टीम में होंगे।

स्वीकार हुई हिंदू पक्ष की याचिका

बता दें कि आज इस बात पर फैसला हो गया कि शाही ईदगाह परिसर का सर्वे होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसकी मंजूरी दे दी है। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की तरफ से शाही ईदगाह परिसर का कोर्ट कमीशन नियुक्त करके सर्वे की मांग को मान लिया है। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई पूरी हुई थी।

किसने दाखिल की थी याचिका?

जानकारी के अनुसार, ‘भगवान श्री कृष्ण विराजमान’ और 7 अन्य लोगों ने ये याचिका दायर की थी। इसमें वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और देवकी नंदन के नाम शामिल हैं। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह के सर्वे को मंजूरी दी है।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर क्या है दावा?

लोगों का दावा है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीचे है। ऐसी कई निशानियां हैं जो बताती हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था। वकील विष्णु शंकर जैन के अनुसार, आवेदन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने यह पेश किया गया था कि वहां एक कमल के आकार का स्तंभ मौजूद है जो हिंदू मंदिरों की विशेषता है।

याचिकाकर्ताओं की मांग क्या थी?

याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि निर्देश के साथ एक आयोग नियुक्त किया जाए, जो एक निर्धारित समय के अंदर सर्वे कर अपनी रिपोर्ट पेश करे। पूरे कार्यक्रम की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए दिशा-निर्देश भी दिए जाएं। अब इसे हाईकोर्ट ने मान लिया है।

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