सरकार गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के अंतर्गत कुछ मामलों को अपराध के दायरे से बाहर लाने पर काम कर रही है। सरकार का मकसद जीएसटी के अंतर्गत मुकदमेबाजी के मामलों को कम करना है। अभी जीएसटी चोरी या इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दुरुपयोग 5 करोड़ करोड़ रुपये से ज्यादा होने पर गड़बड़ी करने वाली फर्म के खिलाफ मुकदमा चलाने का प्रावधान है।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट में बताया गया कि जीएसटी कानून को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के इस प्रस्ताव पर फैसला जीएसटी परिषद की आने वाली बैठक में हो सकता है। एक बार जीएसटी परिषद इसे मंजूरी दे देती है। फिर वित्त मंत्रालय जीएसटी कानून में संशोधन करेगा और इसे आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।
बदलाव की हुई पूरी तैयारी
रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से बताया गया कि जीएसटी को अपराध की श्रेणी से बाहर करने को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। इसके लिए जीएसटी की धारा 132 में बदलाव को भी अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि आईपीसी के तहत आने वाले सभी अपराधों को जीएसटी कानून से हटा दिया जाएगा। जीएसटी परिषद से मंजूरी मिलने के बाद इसमें वित्त मंत्रालय के द्वारा संशोधन किया जाएगा और संसद में पास होने के लिए भेजा जाएगा।
GST में संशोधन के बाद ये हो सकते हैं बदलाव
टैक्स जानकारों का कहना है कि जीएसटी कानून को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के बाद नकली बिल, बिना सही इनवॉइस के सामान और सर्विसेज की आपूर्ति करने और बिना सामान की आपूर्ति के बिल बनाना आदि को हटाया जा सकता है। इसके साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए नकली बिल बनाने को भी आईपीसी के तहत कवर किया जा सकता है।
बता दें, आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के लिए सात साल तक की सजा हो सकती है, जबकि जीएसटी में समान अपराध के लिए 5 साल की सजा है। वहीं, मौजूदा समय में जीएसटी की धारा 132 के तहत टैक्स चोरी कितनी बड़ी है, उसके मुताबिक सजा सुनाई जाती है।
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