Rahul Gandhi: खत्म हुई राहुल गांधी की दुविधा, जानें कहां से बनेंगे सांसद?

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Rahul Gandhi: लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम जारी हो चुका है। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक दुविधा में फंस गए है। जिसका जिक्र उन्होंने खुद वायनाड में किया था। राहुल गांधी वायनाड पहुंचे थे जहां उन्होंने आम जनता को थैंक्यू करने बाद कहा कि वह इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि किस सीट से सांसद बने रहें। दरअसल, राहुल गांधी केरल के वायनाड के साथ-साथ यूपी की रायबरेली सीट से भी चुने गए हैं। वायनाड में राहुल गांधी ने कहा कि मुझे छोड़कर हर किसी को इसका जवाब पता है।

सीट को लेकर हो गया फैसला! वायनाड छोड़ेंगे राहुल गांधी

बता दे कि रायबरेली और वायनाड में से किसी एक सीट को चुनने को लेकर राहुल गांधी धर्म संकट में हैं। इस संकट के बीच जब राहुल गांधी वायनाड पहुंचे तो लोगों ने उनका साथ दिया। पिछले लोकसभा चुनाव में वे अमेठी से हार गए थे। इस हार ने राहुल गांधी का मनोबल तोड़ दिया था। वायनाड की रैली में ही उन्होंने इशारों ही इशारों में अपने मन की बात कर दी थी। उन्होंने कहा कि आप लोगों ने मुझे परिवार के सदस्य की तरह प्यार दिया। मैं आप लोगों के प्रेम को जिंदगी भर याद रखूंगा।

राहुल गांधी के इस बयान से ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी वायनाड को गुडबाय कहने वाले है और रायबरेली से ही सांसद बने रहना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि उनकी मां सोनिया गांधी भी ऐसा ही चाहती हैं, जो यहां से कई बार सांसद रहीं। उन्होंने तो रायबरेली के लोगों से भी कहा था कि अब राहुल आपके हवाले हैं।

वायनाड से चुनाव लड़ सकती प्रियंका गांधी

ऐसा माना जा रहा है कि राहुल गांधी वायनाड सीट को छोड़ देंगे। उनके इस्तीफा देने के बाद इस लोकसभा सीट पर उपचुनाव होगा। सूत्र बताते हैं कि प्रियंका गांधी वायनाड से चुनाव लड़ सकती हैं। उनके चुनाव जीतने पर रायबरेली के साथ-साथ वायनाड का प्रतिनिधित्व गांधी नेहरू परिवार के पास ही रहेगा। जिसके बाद से दक्षिण और उत्तर भारत का संतुलन भी बना रहेगा। बता दे कि केरल में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा है। इस बार यूपी में भी पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर शानदार प्रदर्शन किया है।

चुनाव लड़ने से बचती रहीं प्रियंका

काग्रेंस का कहना है कि राहुल के रायबरेली का सांसद बने रहने से पार्टी और कार्यकर्ताओं को ताकत मिलेगी। प्रियंका गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में सक्रिय राजनीति में आईं थीं। उन्हें पार्टी का महासचिव बनाया गया था, लेकिन अब तक वे चुनाव लड़ने से बचती रही हैं। इस लोकसभा चुनाव में उनके रायबरेली या फिर अमेठी से चुनाव लड़ने की बड़ी चर्चा थी, पर वे पार्टी की स्टार प्रचारक ही बनी रहीं और चुनाव नहीं लड़ी।

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