यूक्रेन पर रूसी हमले को शुरू हुए ठीक एक साल गुजर (Russia-Ukraine A Year of War) गए हैं. जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर एक साल पहले 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन में 2 लाख रूसी सैनिकों ने घुसपैठ की, तो मकसद साफ था- कुछ ही दिनों में यूक्रेन की राजधानी कीव में कब्जा और वहां की लोकतांत्रिक जेलेंस्की सरकार को सत्ता से बेदखल करना. हालांकि युद्ध के 365 दिन गुजर जाने के बाद पीछे मुड़कर देखने पर मालूम होता है कि व्लादिमीर पुतिन ने शायद यूक्रेन को कमतर आंक लिया था।
आज रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरे हो गए हैं। दोनों देशों के बीच लड़ाई अभी भी जारी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. जब युद्ध शुरू हुआ तो ऐसा माना जा रहा था कि यह लड़ाई कुछ ही दिन में रूस की जीत के साथ ही खत्म हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. आमतौर पर यूक्रेन की सैन्य शक्ति और हथियार रूस की अपेक्षा बहुत छोटे और कम हैं लेकिन फिर भी वह डटकर मुकाबल कर रहा है।
तारीख 24 फरवरी 2022 की थी जब NATO की सदस्यता के मुद्दे को लेकर रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया. बीते कुछ दिनों से बयानबाजी और धमकियों का दौर जारी था लेकिन अचानक हमले शुरू हो जाने से हर कोई हैरान रह गया. युद्ध शुरू हुआ तो रूस के साथ-साथ दुनिया के ज्यादातर देशों का मानना था कि चंद दिनों में यूक्रेन सरेंडर करने पर मजबूर हो जाएगा. आज 24 फरवरी 2023 है लेकिन युद्ध जारी है. यूक्रेन ने ना तो घुटने टेके और ना ही हार मानी. यूक्रेन ने रूस जैसे शक्तिशाली देश को नाकों चने चबवा दिए. अब हाल यूं हैं कि खुद रूस इस युद्ध से परेशान हो गया है लेकिन वह चाहकर भी पीछे नहीं हट सकता।
हमला करते समय व्लादिमीर पुतिन का कहना था कि यह ‘सैन्य अभियान’ यूक्रेन को डिमिलिटराइज करने के लिए है, उस पर कब्जा करने के लिए नहीं. कई दिशाओं से रूस ने हमला किए और दो ही दिन में दो लाख से ज्यादा रूसी सैनिक यूक्रेन में घुसते गए. डोनबास, खारकीव, दोनेत्स्क और लुहांस्क पर रूस ने जबरदस्त बमबारी की और जल्द ही कीव के मुहाने तक पहुंच गया।
रूस ने अलगाववादियों के कब्जे वाले डोनबास प्रांत के लुहांस्क और दोनेत्स्क को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया. बाद में क्रीमिया के रास्ते ओडेसा, ज्यापोरिज्जिया और मारियोपोल तक रूसी सैनिक घुसे और जमकर तबाही मचाई. बीते एक साल में रूस ने यूक्रेन के कई शहरों और बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया. हालांकि, अब यूक्रेन पलटवार कर रहा है और एक-एक करके अपने इलाकों को वापस छीन रहा है।
कितने सैनिकों ने गंवाई जान
एक अनुमान है कि एक साल के इस युद्ध में लगभग एक लाख यूक्रेनी सैनिक और 1.80 लाख रूसी सैनिक या तो जान गंवा चुके हैं या गंभीर रूप से घायल हुए होंगे. हालांकि, रूस ने 23 फरवरी 2023 तक 1,45,850 सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की है जबकि यूक्रेन ने ऐसा कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है।
इस युद्ध में अभी तक यूक्रेन के 8 हजार से ज्यादा आम लोगों की मौत हुई है और 13 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. मरने वालों में 487 से ज्यादा बच्चे भी शामिल हैं. युद्ध में जान गंवाने वालों में 60 फीसदी पुरुष और 40 फीसदी महिलाएं हैं. युद्ध की तबाही के बीच यूक्रेन के 80 लाख लोगों ने देश छोड़ दिया है और कई यूरोपीय देशों में शरण लेने को मजबूर हैं।
20 करोड़ से अधिक लोग गरीबी के शिकार
जंग अधिकतर सैनिक मारे गए थे जिनकी औसतन उम्र 30 साल होगी. अगर इसमें मुद्रास्फिती जैसे कारणों को छोड़ दे तो ये इस उम्र में दुनिया की अर्थव्यवस्था में शामिल होते तो ये कीमत लगभग 144 लाख करोड़ रुपये तक जाती. कोविड महामारी और इस जंग की वजह से दुनिया के 20 करोड़ से अधिक लोग गरीबी के शिकार हुए हैं।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रूस को इस जंग की क्या कीमत चुकानी पड़ी है क्योंकि जंग की कीमत रूस की पूरी अर्थव्यवस्था से लगभग दोगुनी है. अगर रूस को इस जंग की वजह से दुनिया को हुए नुकसान की कीमत देनी पड़ी तो उसके लिए लगभग 10 साल तक हर रूसी को फ्री में काम करना होगा।
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