Bihar सरकार को Supreme Court से झटका, जातीय जनगणना पर जारी रहेगी रोक

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नई दिल्ली: जातीय गणना को लेकर Bihar सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से किया इनकार कर दिया है। साथ ही सवाल किया, सर्वे के मामले में बिहार सरकार लोगों की निजता और व्यक्तियों के डेटा को कैसे प्रोटेक्ट करेगी?. इस पर जवाब मिला कि लोगों की निजता और डाटा प्रोटेक्शन की जिम्मेदारी बिहार सरकार की है। इसकी तैयारी भी की जा चुकी है। जातीय गणना सामान्य जनगणना से अलग है।

Bihar Patna High Court puts a stay on Caste-based census. Ban on caste  census in Bihar, next hearing of the case will be on July 3

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पटना हाईकोर्ट 3 जुलाई को सुनवाई करेगा, उसमें बिहार सरकार अपना पक्ष रखे। अगर पटना हाईकोर्ट तय समय पर सुनवाई नहीं करता है तो याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट आ सकता है। गर्मी की छुट्टियों के बाद 14 जुलाई को सुनवाई की जाएगी। वहीं, बिहार सरकार ने अपने एक आधिकारिक पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि वो इस बाबत अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखेगी।

जनवरी 2023 से शुरू हुआ था गणना का काम

बिहार सरकार ने पिछले साल जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया था। इसका काम जनवरी 2023 से शुरू हुआ था। इसे मई तक पूरा किया जाना था। लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी है। नीतीश सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में जातिगत जनगणना पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने इस पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी थी।

जातिगत जनगणना के पक्ष में सरकार का तर्क

बिहार सरकार का जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में तर्क ये है कि 1951 से एससी और एसटी जातियों का डेटा पब्लिश होता है, लेकिन ओबीसी और दूसरी जातियों का डेटा नहीं आता है। इससे ओबीसी की सही आबादी का अनुमान लगाना मुश्किल होता है। 1990 में केंद्र की तब की वीपी सिंह की सरकार ने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश को लागू किया था। इसे मंडल आयोग के नाम से जानते हैं।

इसने 1931 की जनगणना के आधार पर देश में OBC की 52% आबादी होने का अनुमान लगाया था। मंडल आयोग की सिफारिश के आधार पर ही OBC को 27% आरक्षण दिया जाता है। जानकारों का मानना है कि SC और ST को जो आरक्षण मिलता है, उसका आधार उनकी आबादी है, लेकिन OBC के आरक्षण का कोई आधार नहीं है।

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