वाल्मीकि जयंती पर रविवार को यूपी स्थित कानपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के चीफ मोहन भागवत ने पिछड़ों को लेकर वाल्मीकि समाज के लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सिर्फ सिस्टम बनाने से काम नहीं चलता है, बल्कि इसके लिए लोगों को अपना-अपना मन भी बदलना पड़ता है।
रविवार (नौ अक्टूबर, 2022) को यूपी के कानपुर में उन्होंने कहा- समाज का कोई अंग दुख में है तो समाज सुख में नहीं रह सकता। हमें अच्छा होने के लिए समाज को भी अच्छा होने की जरूरत है। जब जो होना संभव है तब वो होते चलेगा। हम ऐसे ही आगे बढ़ेंगे तो 25-30 साल बाद वाल्मीकि की एक ऐसी जयंती आएगी, जिसे पूरी दुनिया संपन्न करेगी।
भागवत बोले- उन्होंने कहा कि व्यवस्था करके राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान की है…लेकिन यह तभी साकार होगी जब सामाजिक स्वतंत्रता आएगी और इसलिए दूसरे डॉक्टर साहब ने साल 1925 से नागपुर से उस भाव को संघ के द्वारा लाने का काम किया।
बकौल आरएसएस प्रमुख, “बाबा साहब अंबेडकर ने संसद में संविधान देते समय बताया था कि अब तक जो पिछड़े माने जाते थे वो पिछड़े नहीं रहेंगे। वो बराबरी से सबके साथ बैठेंगे, हमने यह व्यवस्था बना दी है। लेकिन केवल व्यवस्था बनाने से नहीं होता मन बदलना पड़ता है।”
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद (Moradabad) से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के सांसद डॉ एसटी हसन (ST Hassan) ने आरएसएस (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के जाति और वर्ण व्यवस्था को खत्म कर देने वाले बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह बयान बिल्कुल ठीक दिया है। आज के दौर में जाति और वर्ण व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिए क्योंकि मैं इस्लाम का मानने वाला हूं। इस्लाम ने तो यह व्यवस्था चौदह सौ साल पहले ही समाप्त कर दी थी। इस्लाम में किसी व्यक्ति को श्रेष्ठता उसकी जाति के आधार पर नहीं है।
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मोहन भागवत ने कहा, “मैं मिठाई नहीं बताशा बनकर रहूंगा। वाल्मीकि जयंती के पुण्य पर्व पर मैं यहां आकर खुद को धन्य मान रहा हूं। नागपुर में पहले वाल्मीकि मंदिर के उद्घाटन में मैं शामिल हो चुका हूं। समस्त हिंदू समाज में वाल्मीकि समाज का वर्णन क्यों नहीं कराना चाहिए? वाल्मीकि अगर रामायण न लिखते तो हमें भगवान राम के बारे में पता ही नहीं होता। वाल्मीकि को रामायण के लिए नारद जी ने प्रेरित किया था.”
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