‘रामचरितमानस’ पर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) की टिप्पणी को लेकर शुरू हुआ विवाद फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है। अब बसपा सुप्रीमो (BSP Supremo) मायावती (Mayawati) भी उनके विरोध में उतर आई हैं। उन्होंने ना सिर्फ स्वामी प्रसाद के बयान का विरोध किया है, बल्कि अखिलेश यादव की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और इसे सपा-भाजपा की मिलीभगत करार दिया है। उनका कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियां जनता के मुद्दों से ध्यान भटका कर हिंदू-मुस्लिम उन्माद पर पोलराइज करना चाहती हैं।
मायावती ने कहा, “संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है किन्तु रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण।”
1. संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है किन्तु रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण।
— Mayawati (@Mayawati) January 30, 2023
बीजेपी और सपा पर मिली भगत का आरोप
बीएसपी प्रमुख ने आगे कहा, “रामचरितमानस के विरुद्ध सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर बीजेपी की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलन्त मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके।”
उन्होंने बीजेपी और सपा पर एकसाथ निशाना साधते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश में विधानसभा के हुए पिछले आमचुनाव को भी सपा-भाजपा ने षडयंत्र के तहत मिलीभगत करके धार्मिक उन्माद के जरिए घोर साम्प्रदायिक बनाकर एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम किया, जिससे ही भाजपा दोबारा से यहाँ सत्ता में आ गई. ऐसी घृणित राजनीति का शिकार होने से बचना जरूरी.” बता दें कि रामचरितमानस विवाद पर मायावती ने पहली प्रतिक्रिया दी है।
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