EVM-VVPAT Verification Case: देश में आज दूसरे चरण का मतदान शुरू है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल के साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM पर डाले गए वोटों के पूर्ण सत्यापन की मांग के मामले में बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने VVPAT पर्ची के मिलान से जुड़ी सभी याचिका को खारिज कर दी। कोर्ट के इस फैसले से ईवीएम के जरिए डाले गए वोट की वीवीपैट की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है। इस फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सहमति से दिया है।
उम्मीदवार दोबारा कर सकते जांच की मांग
बता दे कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि रिजल्ट घोषित होने के 7 दिनों के भीतर उम्मीदवार दोबारा जांच की मांग कर सकता है। माइक्रो कंटोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर करेंगे। जांच का खर्च उम्मीदवार को ही उठाना है। कोई भी गड़बड़ी साबित होने की स्थिति में खर्च किया गया पैसा वापस किया जाएगा।
जस्टिस संजीव खन्ना ने सुनाया फैसला
इस मामले पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने चुनाव आयोग को अहम सुझाव भी दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भविष्य में VVPAT पर्ची में बार कोड पर विचार किया जाना चाहिए। बेंच के सामने जो याचिकाएं दी गई थीं, उसमें बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। पिछली सुनवाई के दौरान ही अदालत ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने EVM के जरिए डाले गए वोटों का VVPAT के साथ वेरिफिकेशन करने संबंधी वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। बेंच ने चुनाव आयोग की आयोग की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एश्वर्या भाटी से कहा था कि हम गलत साबित नहीं होना चाहते, बल्कि अपने निष्कर्षों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहते हैं। इस कारण हमने स्पष्टीकरण मांगने का सोचा..
वीवीपीएटी के जरिए वोटर यह जान सकते हैं कि उनका वोट उसी व्यक्ति को गया है या नहीं जिन्हें उन्होंने वोट दिया है।
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