भूपेन हजारिका ने अपने गीतों से भारतीय संगीत की दुनिया में अभूतपूर्व योगदान दिया है। भूपेन हजारिका अपने विलक्षण प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार इतना ही नहीं बल्कि अपनी मूल भाषा असमिया के कवि, फिल्म निर्माता तथा लेखक के रूप में भी जाने जाते है। भूपेन हजारिका ने समाज के कई गंभीर मुद्दों पर अपनी फिल्मों और संगीत के माध्यम से उजाला डाला। वे अपने हाथों से संगीत की रचना करते थे और गायन करते थे। इसीलिए भूपेन हजारिका को कलम और आवाज़ के जादूगर माना जाता है। भूपेन जी ने महात्मा गांधी का पसंदीदा भजन “वैष्णव जन” का भी गान किया है।
आइए जानते भूपेन हजारिका के द्वारा गाये गये कुछ विशेष गाने
- दिल हूँ हूँ करे, घबराए…
1993 में रिलीज फिल्म रूदाली में यह गीत भूपेन हजारिका और लता मंगेशकर ने गाया है। गीत गुलजार का है। संगीत भी भूपेन हजारिका ने दिया है।
- गंगा तुम बहती हो क्यों…
इसे भूपेन हजारिका और कविता कृष्णमूर्ति ने गाया है। नरेंद्र शर्मा ने गीत और संगीत दिया है। मां गंगा की महिमा का वर्णन इस गीत में किया गया है।
- समय ओ धीरे चलो…
1993 में रिलीज फिल्म रूदाली के इस गीत को भूपेन हजारिका ने ही अपनी आवाज दी है। साथ में लता मंगेश्कर और आशा भोसले ने भी गुलजार के इस गीत को गाया है।
- एक कलि दो पत्तियां…
मैं और मेरा साया एलबम का यह गीत गुलजार ने लिखा है। एलबम 2011 में रिलीज हुआ था। आवाज भूपेन हजारिका ने दी है।
भूपेन हजारिका जी को मिले मान और सम्मान
- भूपेन हजारिका को 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया।
- 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से नवाज़ा गया।
- 2011 में पद्म भूषण इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 2011 में बांग्लादेश सरकार ने उन्हें मुक्ति योद्धा अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- 2019 में इन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की गई।
भूपेन हजारिका जी का सफर
भूपेन हजारिका ने अपने जीवन में करीब एक हजार गाने और 15 किताबें लिखी हैं। भूपेन हजारिका का साहित्यिक रूप उनके संगीत में अलग ही मिठास लाता है। हिंदी फ़िल्मों में उनका सफ़र 1974 से शुरू हुआ था। भूपेन हजारिका ने 5 नवंबर 2011 को अपनी अंतिम सांस ली।
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