गुजरात के मेहसाणा जिले के रणतेज गांव में महिलाओं को घूंघट परंपरा से बाहर आने के लिए राज्य के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने अनूठी पहल की। दरअसल, रणतेज गांव में मंत्री वघानी एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान गांव की पहली महिला सरपंच से मंच पर उन्होंने परंपरा के तौर पर घूंघट को हटाने की बात कही। जिसे सुनकर वहां मौजूद कई ग्रामीण आश्चर्य में पड़ गए।
दरअसल राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखने वाली 35 वर्षीय मीनाबा जाला गुरुवार को रणतेज गांव में वघानी के सम्मान में भेंट करने के लिए मंच पर आईं, तो मंत्री ने देखा कि उन्होंने अपना पूरा चेहरा अपनी साड़ी से ढक लिया था। वघानी ने मीनाबा से सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान इस परंपरा को छोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि उसे कम से कम सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपना चेहरा नहीं ढंकना चाहिए। यह सिर्फ मेरा अनुरोध है और यह तय करना बड़ों पर निर्भर है।’
जब एक व्यक्ति ने कहा कि वे राजपूत हैं और इसलिए उनकी महिलाएं पर्दे के पीछे रहती हैं, तो मंत्री ने कहा कि यह किसी जाति के बारे में नहीं है और वह इस परंपरा के खिलाफ नहीं हैं। यह किसी जाति के बारे में नहीं है। मैं मीनाबा से सिर ढकने का अनुरोध करता हूं। मैं इस परंपरा के खिलाफ नहीं हूं। लेकिन हम सभी को बदलते समय के अनुकूल होने की जरूरत है। यह केवल मेरा अनुरोध है और गांव के बुजुर्गों को अंतिम निर्णय लेना है। अपनी महिलाओं को इस परंपरा से बाहर लाओ।’
फ़िलहाल वघानी के सुझाव से सहमत होकर लोगों में एक राजपूत समुदाय की बुजुर्ग गौभा जाला ने महिला सरपंच को अपना घूंघट हटाने की अनुमति दी। वघानी ने दर्शकों में बैठे समुदाय के बुजुर्गों से भी आगे आने और समानता लाने के अभ्यास को छोड़ने का आग्रह किया। रणतेज की पहली महिला सरपंच मीनाबा ने कहा कि मंत्री को आश्वासन दिया गया था कि गांव की राजपूत महिलाएं सार्वजनिक रूप से अपना चेहरा नहीं ढकेंगी और घर पर ही घुंघट प्रथा का पालन करेंगी।
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