भारत के नए राष्ट्रपति के चुनाव में उत्तर प्रदेश की भूमिका काफी अहम होने जा रही है. आपको बता दें कि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. इससे पहले 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होना है. बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने इस चुनाव में झारखंड की पूर्व राज्यपाल 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों सहित कई विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है.
दरअसल आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो मुर्मू की जीत की संभावना प्रबल है. यदि वह जीत जाती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी को मजबूत करने में सबसे बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश की होने वाली है.
राष्ट्रपति चुनाव में सांसद और देश भर के राज्यों की विधानसभाओं के विधायक वोट डालते हैं .ऐसे में अगर संख्या को देखा जाए तो इस आंकड़े का करीब 14 प्रतिशत यूपी के पास है. दरअसल यूपी जैसी सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य के एक सांसद के वोट का मूल्य 700 और एक विधायक के वोट का मूल्य देश में सबसे ज्यादा यानि 208 है. अब अगर इसमें एनडीए (बीजेपी +सहयोगी) की स्थिति को देखें तो 64 लोकसभा सांसद हैं. अगर एक सांसद के वोट का मूल्य 700 है तो ऐसे में एनडीए के यूपी से लोकसभा सांसदों के वोट का मूल्य 44,800 होगा. वहीं अगर राज्यसभा में बीजेपी सांसदों का मूल्य देखें, तो सांसदों की संख्या 25 के वोट का कुल मूल्य 17,500 है.
फ़िलहाल उत्तर प्रदेश के विधायकों का मूल्य देखें तो यूपी में 403 विधान सभा सदस्यों में बीजेपी और सहयोगी दलों के 273 विधायक हैं. एक विधायक के मूल्य 208 के हिसाब से बीजेपी और सहयोगियों को मिलाकर उनके वोट का मूल्य 56,784 होगा. अब अगर समाजवादी पार्टी गठबंधन के विधायकों और सांसदों की संख्या के आधार पर उनके वोट का मूल्य तय करें तो सपा गठबंधन के 125 विधायकों के वोट का मूल्य 26,000 होगा.
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