केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। अब उन्होंने मुस्लमानों को ही उनकी हालत के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है। देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में रविवार को उन्होंने कहा, “आधुनिक शिक्षा को इस्लाम के खिलाफ माना जाता था। वे या तो इसे बैन करना चाहते थे या मुस्लिम छात्रों को इसे पढ़ने से रोकना चाहते थे।”
केरल गवर्नर ने ये बात रविवार (15 जनवरी) को आरएसएस के साप्ताहिक पत्र पांचजन्य की तरफ से आयोजित कॉन्क्लेव में कही. उन्होंने कहा कि जब वे कांग्रेस में थे, तब से उनके खिलाफ तब से फतवा दिया जाता रहा है।
कुफ्र फतवे को लेकर उन्होंने धार्मिक आदेशों का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से राजनीतिक कारणों से फतवे जारी करके मुसलमानों को भी उस श्रेणी में डाला गया जहां पर उनके ऊपर धर्म के प्रति अविश्वास या ईशनिंदा का आरोपी बनाया गया।
AMU की स्थापना करने वाले सर सैय्यद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “सर सैय्यद ने कहा कि हम (मुस्लिम) अपने पिछड़ेपन के लिए खुद जिम्मेदार हैं, उन्होंने दोष मढ़ने की कोशिश नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुसलमान शिक्षा (education) के मामले में पिछड़े रहेंगे तो वे पूरे देश के लिए मुसीबत बन जाएंगे।”
शासकों और धर्मगुरुओं का गठजोड़
राज्यपाल ने कहा, इस्लाम में धर्मगुरु जो फतवे देते हैं उसे शासकों ने तैयार कराया था. यह भी दावा किया कि कुरान में दर्जनों ऐसे घटनाक्रम मौजूद हैं जहां कहा गया है कि क्या सही और क्या गलत है यह पैगंबर भी नहीं, केवल अल्लाह ही तय कर सकता है।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हर समाज में दो विचार होते हैं. लेकिन जो सत्ता में होते हैं वे अपना ही विचार चलाते हैं. शासकों ने धर्मगुरुओं को इसीलिए तैयार किया ताकि उनके फैसलों को धार्मिक वैधता मिल सके. पैंगबर के निधन के बाद से इस्लाम को राजनीति ने अपने कब्जे में ले लिया है।
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